अमेरिका ने किया IPEF का एलान, भारत भी शामिल लेकिन कितना फायदा होगा?
BBC
आईपीईएफ़ के ज़रिये अमेरिका पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के साथ नए सिरे से कारोबारी समझौते करना चाहता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को जापान की राजधानी टोक्यो में इंडो-पैसिफ़िक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क यानी आईपीईएफ़ के गठन का एलान किया है. इसमें 13 देश शामिल होंगे. भारत को भी इसमें शामिल किया गया है.
बाइडन ने पहली बार अक्टूबर 2021 में आईपीईएफ़ का जिक्र करते हुए कहा था, "अमेरिका अपने सहयोगी देशों के साथ इस इंडो-पैसिफ़िक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क को विकसित करने की कोशिश करेगा. इसके ज़रिये हम व्यापार की सहूलियतों, डिजिटल और टेक्नोलॉजी में मानकीकरण, सप्लाई चेन की मज़बूती, कार्बन उत्सर्जन में कटौती और क्लीन एनर्जी से जुड़े कारोबार के अपने साझा लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश करेंगे. इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, श्रम और क़ानून जैसे मुद्दे भी शामिल होंगे."
आईपीईएफ़ को इंडो-पैसिफ़िक यानी हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की विश्वसनीयता दोबारा बहाल करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. 2017 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को ट्रांस पेसिफ़िक पार्टनरशिप (TPP) से अलग कर लिया था. इसके बाद से इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से असंतुलन की आशंका जताई जा रही थी.
माना जा रहा था कि इस इलाक़े में चीन के असर के ख़िलाफ़ मज़बूत अमेरिकी आर्थिक और कारोबारी नीतियों की ज़रूरत है.
चीन टीपीपी का सदस्य है और उसने कॉम्प्रिहेन्सिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट ऑन ट्रांस पैसिफ़िक पार्टनरशिप यानी सीपीटीपीपी (CPTPP) की भी सदस्यता मांगी है.