अमेरिका क्या भारत में रूस की जगह ले सकता है?
BBC
अमेरिका कह रहा है कि वह भारत की रक्षा ज़रूरतें पूरी करने के लिए तैयार है ताकि रूस पर उसकी निर्भरता कम हो. लेकिन क्या अमेरिका पर भारत भरोसा करेगा और क्या अमेरिका भारत के लिए रूस बन सकता है?
35 साल के उत्तर प्रदेश के संजीव कुमार दिल्ली में पिछले 10 सालों से ऑटो चला रहे हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले की जानकारी उन्हें भी है.
वह अपने पिता की बात याद करते हुए बताते हैं कि उनके पिता ने कहा था कि रूस ने हर मुश्किल वक़्त में भारत का साथ दिया था. संजीव के पिता किसान थे. संजीव कहते हैं कि अमेरिका भरोसे के लायक नहीं है और मोदी सरकार को मुश्किल घड़ी में रूस का साथ देना चाहिए.
यह बात केवल संजीव की नहीं है. आम भारतीयों में रूस को लेकर सोवियत संघ के ज़माने से एक सॉफ्ट कॉर्नर रहा है. 24 फ़रवरी को रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जब यूक्रेन में सैन्य अभियान की घोषणा की तब से भारत में सोशल मीडिया पर रूस के समर्थन में हज़ारों पोस्ट देखी जा सकती हैं.
संभव है कि आम भारतीयों का रुख़ रूस को लेकर इमोशनल हो लेकिन भारत की मोदी सरकार भी रूस के ख़िलाफ़ अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के अभियान से बिल्कुल अलग है. यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र में जितने प्रस्तावों पर वोटिंग हुई है, भारत ने तटस्थ रुख़ अख़्तियार किया.
भारत वोटिंग से बाहर रहा. सबसे हालिया वोटिंग सात अप्रैल को मानवाधिकार परिषद से रूस की सदस्यता निलंबित करने के लिए हुई. गुरुवार को इसके लिए संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रस्ताव का 93 देशों ने समर्थन किया और 24 देशों ने रूस का साथ दिया.