अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का लाइसेंस नहीं: हाईकोर्ट
The Wire
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने पीएफआई के सदस्य मोहम्मद नदीम की अग्रिम ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि जो कोई ईशनिंदा संदेशों के प्रसार का जोखिम उठाता है, वह अदालत के विवेक को अपने पक्ष में पाने का हक़दार नहीं है. नदीम पर अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखने के ख़िलाफ़ धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप है.
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सक्रिय पदाधिकारी मोहम्मद नदीम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. मोहम्मद नदीम पर अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखने के खिलाफ बाराबंकी के कुर्सी इलाके में भाषण देते हुए धार्मिक भावनायें भड़काने का आरोप है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि धर्मनिरपेक्ष राज्य में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार धार्मिक भावनाओं, साथी नागरिकों की भावनाओं और विश्वासों को चोट पहुंचाने का लाइसेंस नहीं है. मोहम्मद नदीम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि जो कोई ईशनिंदा संदेशों के प्रसार का जोखिम उठाता है, वह अदालत के विवेक को अपने पक्ष में पाने का हकदार नहीं है.More Related News