अबॉर्शन के क़ानूनी हक़ के मामले में भारत क्या अमेरिका से बेहतर है - दुनिया जहान
BBC
टेक्सस के नए गर्भपात क़ानून के अनुसार छह सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करना अवैध है. वहीं भारत में मौजूद क़ानून के अनुसार 20 सप्ताह तक गर्भपात कराया जा सकता है. तो क्या हम कह सकते हैं कि इस मामले में भारत बेहतर है या सच कुछ और है.
अमेरिका के टेक्सस में एक नया क़ानून लागू किया गया है जिसके अनुसार छह सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करना अवैध है. और तो और क़ानून तोड़ने का मामला कोर्ट में ले जाने वाले के लिए इसमें इनाम का भी प्रावधान है.
अमेरिका में ये क़ानून चर्चा का विषय बना हुआ है. जहां इसके समर्थक मानते हैं कि जीवन नष्ट करने का हक़ किसी को नहीं, वहीं इसके विरोधी कहते हैं कि गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेना महिला का हक़ होना चाहिए.
वहीं अमेरिका के मुक़ाबले भारत की बात की जाए तो यहां 25 मार्च 2021 में गर्भपात क़ानून (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी क़ानून, 1971) में बदलाव कर बलात्कार और व्यभिचार जैसे मामलों में गर्भपात कराने की सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ा कर 24 सप्ताह कर दिया गया. हालांकि इसके लिए दो डॉक्टरों की मंज़ूरी की शर्त है. भारत में सामान्य तौर पर एक डॉक्टर की मंज़ूरी से 20 सप्ताह के भीतर गर्भपात कराया जा सकता है.
दुनिया जहान में इस सप्ताह पड़ताल अमेरिका के गर्भपात क़ानून के इतिहास की. हमारा सवाल है कि क्या गर्भपात के मामले में अमेरिका के मुक़ाबले भारत में महिलाओं की स्थिति बेहतर है.