
अबू तबीला: महाराजा रणजीत सिंह की सेना का इतालवी सेनापति जो पेशावर का शासक बना
BBC
प्रसिद्ध लोक कथाओं में दर्ज है कि पेशावर में एक समय था जब माताएं अपने बच्चों से कहती थीं कि सो जाओ वरना अबू तबीला आ जाएगा.
इतिहास से पता चलता है कि ख़ैबर पख़्तूनख़्वा की प्रांतीय राजधानी पेशावर, पर कई विदेशी हमलावरों ने हमला किया और इसका मुख्य कारण यह लगता है कि ये शहर उन हमलावरों के रास्ते में पड़ता था जो ख़ैबर दर्रे के रास्ते भारत पर हमला करते थे.
साल 1818 में उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (ख़ैबर पख़्तूनख़्वा) पर सिखों के हमले की शुरुआत हुई और साल 1826 में रणजीत सिंह पश्तूनों के इस क्षेत्र के शासक बन गए.
इतालवी सैनिक पाउलो आवीताबले (जिन्हें पेशावर के स्थानीय लोग को अबू तबीला कहते थे) की भूमिका भी रणजीत सिंह के समय में ही सामने आती है, जिन्हें रणजीत सिंह ने पेशावर का गवर्नर नियुक्त किया था. लेकिन ये इतालवी सैनिक पेशावर कैसे पहुंचे और उनके शासन काल में पेशावर और वहां रहने वालों पर क्या बीती, यह एक दिलचस्प कहानी है.
नेपोलियन का दौर ख़त्म होने के बाद, ग्रैंड आर्मी के बहुत से पूर्व सैनिक रोज़गार की तलाश में भारत आए. अबू तबीला भी उन्हीं सैनिकों में से एक थे, जिन्होंने बाद में फ़ारस और पंजाब में सैन्य सलाहकार के रूप में सेवाएं दीं.