अफ़ग़ान पत्रकार बिलाल सरवरी: जिस शहर से मुझे इश्क़ था, वहां झटके में सब ख़त्म-सा हो गया
BBC
पत्रकार बिलाल सरवरी ने साल 2001 में तालिबान के पांव उखड़ते और फिर एक नए अफ़ग़ानिस्तान को खड़ा होते देखा. अफ़ग़ानिस्तान एक बार फिर बदलाव के दौर से गुजर रहा है. अब वो क्या सोचते हैं, पढ़िए
अफ़ग़ान पत्रकार बिलाल सरवरी ने साल 2001 में तालिबान के पांव उखड़ते देखे और अपने देश को फिर से खड़ा होते देखा है. अब वो मानते हैं कि अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में स्थायी शांति क़ायम करने का एक अच्छा मौका गंवा दिया. पिछले दो हफ़्तों के दौरान उनके देश में घटनाओं ने एक भयावह मोड़ लिया है, जिससे ख़ुद की उनकी जान ख़तरे में पड़ गई. उनकी कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी: मैं साल 2001 में पाकिस्तान के पेशावर के पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल में कालीन बेचने वाला सेल्समैन था. काम के लिहाज़ से वो एक आम सा दिन था. क काम करते-करते अचानक टीवी पर नज़र गई और जो देखा उसे मैं कभी नहीं भूल सकता. मैंने न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से विमान टकराने का लाइव फ़ुटेज देखा और फिर एक अन्य विमान पेंटागन की इमारत से टकराया. उसके बाद हमारी ज़िंदगी ही बदल गई. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान पर सऊदी अरब की चुप्पी का राज़ क्या?More Related News