अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने रणनीति तो बदली है, लेकिन क्या चेहरा भी बदलेगा?
BBC
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद ऐसा लग रहा है कि तालिबान का लक्ष्य काबुल में सरकार स्थापित करना है. लेकिन रणनीति में बदलाव के बावजूद ये एक बड़ी चुनौती है.
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का गठन अक्तूबर 1994 में एक स्थानीय मौलवी मुल्ला मोहम्मद उमर के नेतृत्व में दक्षिणी प्रांत कंधार में हुआ था. अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राजदूत मुल्ला अब्दुल सलाम ज़ईफ़ तालिबान आंदोलन के गठन पर अपनी क़िताब में लिखते हैं, कि इस आंदोलन की शुरुआत कंधार और उसके आसपास के धार्मिक मदरसों के युवा छात्रों ने की थी. उनके मुताबिक़, "इन धार्मिक मदरसों के छात्रों ने, सूबे में जिहादी कमांडरों और उन्हें स्वीकार करने वाले पूर्व कम्युनिस्टों के बचे हुए मिलिशिया की ओर से पूरे देश में फैलाई गई अशांति से, मानवता को शर्मशार करने वाले ज़ुल्म के ख़िलाफ़ हथियार उठाए थे." तालिबान आंदोलन के संस्थापक सदस्य और कई वर्षों तक मुल्ला उमर के प्रवक्ता रहने वाले मुल्ला अब्दुल हयी मुत्तमिन ने भी इस विषय पर एक क़िताब लिखी है. उनका कहना है कि उस समय कंधार के अलावा, अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिणी, दक्षिणपूर्वी, पश्चिमी और मध्य प्रांतों और कई अन्य पश्तून-बहुल प्रांतों में छोटे पैमाने पर शांति आंदोलन चल रहे थे. उन आंदोलनों को अपने-अपने क्षेत्रों में स्थानीय मौलवियों ने व्यक्तिगत रूप से चलाया था, लेकिन इन आंदोलनों का आपस में एक दूसरे के साथ संपर्क नहीं था.More Related News