अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का बढ़ता दबदबा, भारत के साथ रिश्तों पर राजनयिक असमंजस
BBC
भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण में सबसे अधिक सहायता दी है लेकिन अब अमेरिकी सेना वहां से जा रही है और इसी बीच तालिबान ने वहां कई ज़िलों पर कब्ज़ा जमा लिया है. भारत के लिए बेहद चिंता की स्थिति बनती जा रही है. आगे क्या करना होगा भारत को?
बात साल 1999 की है, जब भारत के एक यात्री विमान का अपहरण हुआ था. विमान को अफ़ग़ानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर ले जाया गया था. ये इलाक़ा उस वक़्त तालिबान लड़ाकुओं के नियंत्रण में था. इसलिए अपहरण करने वालों और भारत के बीच तालिबान मध्यस्थता कर रहा था. ये पहला मौक़ा था जब भारत सरकार ने तालिबान के साथ किसी भी तरह का कोई संपर्क बनाया हो. फ़िर उसके बाद भारत सरकार और तालिबान के बीच किसी भी तरह का कोई औपचारिक राजनयिक संपर्क नहीं रहा. भारत हमेशा से ही अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के साथ ही रहा. यात्री विमान के अपहरण के दौरान भारत में तत्कालीन वरिष्ठ राजनयिक जी पार्थसारथी भी सरकारी अधिकारियों की उस टीम में शामिल थे जिन्होंने यात्रियों और विमान को अपहर्ताओं के चंगुल से छुड़वाने में अहम भूमिका निभाई थी. यात्रियों और विमान की रिहाई के बदले भारत को तीन चरमपंथियों को उनके सुपुर्द भी करना पड़ा था.More Related News