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अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान, चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी में क्या भारत अलग-थलग पड़ गया है?
BBC
भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई लेकिन तालिबान के साथ रिश्ते को लेकर कोई साफ़ संकेत नहीं दिया है. वहीं पाकिस्तान और चीन ने तालिबान को लेकर गर्मजोशी दिखाई है.
भारत के अफ़ग़ानिस्तान की सरकारों के साथ काफी अच्छे रिश्ते रहे हैं. राष्ट्रपति चाहे हामिद करज़ई रहे हों या फिर अशरफ़ ग़नी अफ़ग़ानिस्तान और भारत के बीच गर्मजोशी साफ़ दिखाई देती रही लेकिन काबुल पर तालिबान के कब्ज़े के बाद भारत अफ़ग़ानिस्तान के साथ अपने रिश्तों को सतर्कता के साथ जांच परख रहा है. भारत सरकार और अहम अधिकारियों ने इस मामले में लगभग चुप्पी साधी हुई है. इस मामले में सिर्फ़ विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "भारत अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम पर करीबी नज़र बनाए हुए है." मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि तालिबान चाहता है कि भारत अफ़ग़ानिस्तान में विकास के काम जारी रखे. दूसरी तरफ़, भारत सरकार ने अपने दूतावास कर्मियों को वापस बुला लिया है. भारत ने अब तक अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भविष्य की अपनी योजनाओं को सामने नहीं रखा है. भारत की एक तात्कालिक चिंता पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा, हिज़बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-झांगवी जैसे भारत विरोधी चरमपंथी समूहों के साथ तालिबान की कथित नजदीकी को लेकर बताई जाती है.More Related News