अफ़ग़ानिस्तान को क्यों कहते हैं 'साम्राज्यों की कब्रगाह'?
BBC
अमेरिका के पहले ब्रिटेन और सोवियत संघ ने अफ़ग़ानिस्तान में झटके झेले हैं. क्या आगे कोई और ताक़त यहां दमखम आजमाना चाहेगी, 180 साल का इतिहास क्या कहता है, पढ़िए
अफ़ग़ानिस्तान में ऐसा क्या है जो इसे पूरी दुनिया में 'साम्राज्यों की कब्रगाह' के रूप में जाना जाता है? आख़िर क्यों अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, सोवियत संघ समेत दुनिया की तमाम बड़ी शक्तियां इसे जीतने की कोशिश में नाकाम रहीं. ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब अफ़ग़ानिस्तान के इतिहास और भूगोल में मिलता है. 19वीं सदी में, तब दुनिया में सबसे ताक़तवार रहे ब्रितानी साम्राज्य ने अपनी पूरी शक्ति के साथ इसे जीतने की कोशिश की. लेकिन 1919 में आख़िरकार ब्रिटेन को अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर जाना पड़ा और उन्हें स्वतंत्रता देनी पड़ी. इसके बाद सोवियत संघ ने 1979 में अफ़ग़ानिस्तान पर आक्रमण किया. मंशा ये थी कि 1978 में तख़्तापलट करके स्थापित की गयी कम्युनिस्ट सरकार को गिरने से बचाया जाए. लेकिन उन्हें ये समझने में दस साल लगे कि वे ये युद्ध जीत नहीं पाएंगे. ब्रितानी साम्राज्य और सोवियत संघ के बीच एक बात ऐसी है जो दोनों पर लागू होती है. दोनों साम्राज्यों ने जब अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया तो वे अपनी ताक़त के चरम पर थे. लेकिन इस हमले के साथ ही धीरे- धीरे दोनों साम्राज्य बिखरने लगे.More Related News