अफ़ग़ानिस्तान की भारत से हार और कुछ पाकिस्तानियों की शिकायत
BBC
अफ़ग़ानिस्तान टीम को 'नमक हराम' कहकर कुछ पाकिस्तानियों ने अफ़ग़ानों के साथ अपने 40 साल के संबंध और उनके बारे में अपनी भावनाओं की पोल खोल दी है. पेश है इस बारे में स्तंभकार मोहम्मद हनीफ़ का नज़रिया.
विश्व कप में अफ़ग़ानिस्तान भारत से एक मैच हार गया. हमारे क्रिकेट के कुछ प्रतिष्ठित नामों को छोड़कर, सभी ने नारे लगाए कि मैच फिक्स था और अफ़ग़ानिस्तान की टीम आईपीएल के लालच में या पैसे लेकर जानबूझकर मैच हारी.
उनका फ़र्ज़ था कि अगर वे भारत को हरा नहीं सकते थे, तो जान की बाज़ी लगा देते, लड़ जाते, मर जाते, कुछ कर दिखाते. इसलिए ये साबित हो गया कि अफ़ग़ानिस्तान ने जानबूझकर भारत से हारकर पाकिस्तान के साथ ग़द्दारी की है. और इस तरह अफ़ग़ानिस्तान टीम ने हमसे नमक हरामी की है.
क्रिकेट का खेल इज़्ज़त और ग़ैरत (प्रतिष्ठा) से ऊपर है. वरना कोई भी इज़्ज़तदार पाकिस्तानी मैच फिक्सिंग शब्द का इस्तेमाल करने से पहले थोड़ा सोचता. लेकिन ये एक खेल है. इसलिए दुश्मन टीम को बुरा-भला कहना और उसका मज़ाक़ उड़ाना भी खेल का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, जितना कि डाइव लगा कर कैच पकड़ना.
अफ़ग़ान अगर किसी दुश्मन देश के मुद्दे युद्ध के मैदान या बाज़ार में हल होने के बजाय क्रिकेट स्टेडियम में हल होते, तो ये दुनिया एक बेहतर दुनिया होती. लेकिन अफ़ग़ानिस्तान टीम को नमक हराम कहकर हमने अफ़ग़ानों के साथ अपने 40 साल के संबंधों और उनके बारे में हमारी भावनाओं की पोल खोल दी है. वैसे दोनों देशों के संबंध तो सदियों पुराने हैं, लेकिन चलिए उन्हीं घटनाओं की बात करते हैं जो हमारी ज़िंदगी में घटी हैं.