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अफ़ग़ानिस्तानः इस जगह तालिबान का हो रहा स्वागत, अमेरिका ने कभी कहा था ‘अल्सर’
BBC
तालिबान के क़ब्ज़े के एक महीने बाद बीबीसी संवाददाता ने अपने दौरे में क्या देखा और महसूस किया, पढ़िए
यह घर मिट्टी की ईंटों से बना हुआ था और अंदर से ठंडा, साफ़ और शांत था. शम्सुल्लाह का छोटा सा बेटा उनके पैरों से चिपका हुआ था और उन्होंने उस कमरे में हमें बैठाया जहां पर वो मेहमानों को लाते हैं.
ज़मीन पर दरियां बिछी थीं और दीवारों के सहारे तकिए लगे थे जो कम से कम दो फ़ीट मोटे थे.
दीवार पर कुछ आभूषण लटके हुए थे और आधा दर्जन रंगीन बोतलें रखी थीं लेकिन ये परिवार बेहद ग़रीब था और इनके पास जो कुछ भी था वो 20 साल लंबे युद्ध में या तो बर्बाद हो गया या कोई लूट ले गया.
यह घर तपते सूरज और धूल भरी आंधी से राहत देता है. यह मिट्टी की मोटी दीवारों से बना है, यह भी हेलमंद प्रांत के मारजाह में बाकी घरों की तरह युद्ध का मैदान बन गया था. घर के अंदर वो कपास निकाल रहे हैं, शम्सुल्लाह खेत से ही एक गट्ठर लेकर आए थे.
शम्सुल्लाह ने अपनी मां गोलजुमा से मुलाकात कराई. उन्होंने बताया कि वो 65 वर्ष की हैं. उन्होंने ख़ुद को एक लंबी चादर में सिर से लेकर घुटनों तक लपेट रखा था. आंखों के पास थोड़ी सी जगह ही छोड़ी थी जहां से वो देख सकती थीं.