
अफगानिस्तान की आखिरी उम्मीद अमरुल्ला सालेह की कहानी...कैसे एक गोरिल्ला फाइटर बना 'कार्यवाहक राष्ट्रपति'
ABP News
अभी भी एक लौ है जो अफगानिस्तान में लोकतंत्र के लिए फड़फड़ा रही है. पंजशीर की घाटी में कुछ लड़ाके हैं जो तालिबान से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं.
नई दिल्ली: जब समूचा अफगानिस्तान तालिबान के लाल रंग में रंग चुका है, तब भी एक जगह ऐसी है जिसको तालिबान जीत नहीं पाया है. जिस पर तालिबान कब्जा नहीं कर पाया, जिस तक पहुंच नहीं पाया, जिसका रंग अब भी लाल नहीं हुआ. आखिरी उम्मीद के तौर पर एक प्रांत ऐसा है जो अंतिम सांस तक तालिबानियों को टक्कर देने के लिए तैयार है, वो प्रांत कौन सा है ? अफगानिस्तान में अब भी एक नेता ऐसा है, जो वहां तालिबान के खिलाफ में डटा हुआ है और कहता है कि कुछ हो जाए तालिबानियों के सामने सिर नहीं झुकाऊंगा. ये अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह हैं. अफगानिस्तान के इकलौते बड़े नेता जो कहते हैं, सीने पर गोली खा लेंगे लेकिन सिर नहीं झुकाएंगे.More Related News