अदालत ने भाजपा विधायक के ख़िलाफ़ दर्ज मामले वापस लेने की यूपी सरकार की अर्ज़ी ख़ारिज की
The Wire
पुलिस ने 2006 में उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के जानसठ रोड पर एक मांस फैक्ट्री के बाहर प्रदर्शन के बाद विधायक समेत कई लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था. इसी महीने सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य के अभियोजक उच्च न्यायालयों की पूर्व मंज़ूरी के बिना सीआरपीसी के तहत जन प्रतिनिधियों के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे वापस नहीं ले सकते हैं.
मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक विशेष अदालत ने भाजपा विधायक उमेश मलिक के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने की प्रदेश सरकार की अर्जी बृहस्पतिवार को खारिज कर दी. अदालत ने अपील खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय के इस आदेश हवाला दिया कि उच्च न्यायालय की मंजूरी के बिना किसी भी विधायक या सांसद के खिलाफ अभियोग वापस नहीं लिया जा सकता. बुढाणा से विधायक मलिक ने बृहस्पतिवार को अदालत में आत्मसमर्पण किया और उनके खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को वापस लेने का आग्रह किया. पुलिस ने 2006 में जिले के जानसठ रोड पर एक मांस फैक्ट्री के बाहर प्रदर्शन के बाद विधायक समेत कई लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा करने के लिए सजा), 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस) और 149 (गैरकानूनी सभा) के तहत मामला दर्ज किया था.More Related News