अजीत: ‘सारा शहर मुझे लायन के नाम से जानता है’
BBC
मशहूर खलनायक अजीत को आज भी उनकी कड़क आवाज़, बेहतरीन शख़्सियत और दमदार डायलॉग डिलीवरी के लिए याद किया जाता है. उनके जन्मशती वर्ष में उनकी ज़िंदगी के कई पहलुओं पर नज़र डाल रहे हैं रेहान फ़ज़ल विवेचना में.
अजीत के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 70 के दशक में भारतीय सिनेमा में खलनायक की छवि को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. ये शख्स शिष्ट था, पढ़ा-लिखा था सूट और सफ़ेद जूते पहनता था और उसकी क्लार्क गेबल्स स्टाइल की मूछें हुआ करती थीं.
अजीत का मानना था कि हिंदी फ़िल्मों के विलेन अक्सर ऊँची आवाज़ में बात करते थे. अजीत ने विलेन की डॉयलॉग डिलीवरी को एक सॉफ़्ट टच दिया जो कड़े से कड़ा फ़ैसला लेते हुए भी अपनी आवाज़ ऊँची नहीं करता था.
अजीत पर हाल ही में प्रकाशित किताब 'अजीत द लायन' लिखने वाले इक़बाल रिज़वी बताते हैं, "एक ज़माने में विलेन डाकू होते थे या उससे भी पहले ज़मींदार या गाँव का महाजन विलेन होता था जो सूद पर कर्ज़ दिया करता था लेकिन 70 के दशक में जब अजीत विलेन बने तो भारतीय समाज बदलने लगा था. अंग्रेज़ी फ़िल्मों का भी असर दिखने लगा था. तब एक ऐसे विलेन से हमारा परिचय होता है जो बहुत शालीन है. ऐसा नहीं है कि उसके बड़े बाल हैं या उसके हाथ में बंदूक है और जो बात-बात पर गोली चला देता है. वो सूट पहनता है, बो लगाता है और किसी होटल का जहाँ जुएख़ाने चलते हैं, लाएसेंसी मालिक है. वो बहुत आराम और सुकून से बात करता है. उनको देख कर ये यकीन नहीं होता था कि ये आदमी भी इतना बदमाश और शैतान हो सकता है."
अजीत का ददिहाल शाहजहाँपुर में था लेकिन उनका जन्म हैदराबाद में हुआ जहाँ उनके पिता निज़ाम की सेना में काम करते थे. आज़ादी से पहले शरीफ़ घर के बच्चों को फ़िल्म देखने की इजाज़त नहीं होती थी.