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अचानक चीनी का सेवन बंद करना सेहत के लिए हो सकता है नुकसानदेह, नए रिसर्च में खुलासा
Zee News
ब्रिटेन के बर्मिंघम की एस्टन विश्वविद्यालय में हुए रिसर्च के नतीजे में बताया गया है कि जब लोग कम चीनी खाने की कोशिश करते हैं तो कभी-कभी इसके नकारात्मक दुष्प्रभावों का भी अनुभव करते हैं, जिसमें सिरदर्द, थकान या मूड में बदलाव शामिल हैं.
बर्मिंघमः सफेद चीनी खाना सेहत के लिए नुकसानदेह है या फायदेमंद यह सवाल हमेशा से भ्रम पैदा करता रहा है. पहले के कई रिसर्च के मुताबिक चीनी सेहत के लिए बेहद खतरनाक है, लेकिन हालिया रिसर्च में एक दूसरे पहलु की तरफ ध्यान खींचा गया है. ब्रिटेन के बर्मिंघम की एस्टन विश्वविद्यालय में हुए रिसर्च के नतीजे में बताया गया है कि जब लोग कम चीनी खाने की कोशिश करते हैं तो कभी-कभी इसके नकारात्मक दुष्प्रभावों का भी अनुभव करते हैं, जिसमें सिरदर्द, थकान या मूड में बदलाव शामिल हैं, जो आमतौर पर अस्थाई होते हैं. चीनी छोड़ने पर चक्कर आने के साथ-साथ इसे खाने की तीव्र इच्छा, अवसाद और चिंता आदि शामिल हैं. इन दुष्प्रभावों का कारण फिलहाल समझना मुश्किल है, लेकिन यह संभावना है कि ये लक्षण इस बात से संबंधित हैं कि मीठे खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने पर मस्तिष्क कैसे प्रतिक्रिया करता है. धीरे-धीरे छोड़े चीनी का सेवन चीनी का हम पर गहरा असर हो सकता है, इसलिए चीनी छोड़ना मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से परेशान कर सकता है, जिससे कुछ लोगों के लिए इसे छोड़ना मुश्किल हो सकता है. किसी भी तरह के आहार परिवर्तन की तरह चीनी को छोड़ने की शुरूआत करते समय इसपर टिके रहना महत्वपूर्ण है. इसलिए यदि आप लंबे समय तक अपने आहार से चीनी को कम करना चाहते हैं, तो पहले कुछ कठिन सप्ताहों से गुजरना महत्वपूर्ण है. हालांकि, यह स्वीकार करना भी महत्वपूर्ण है कि चीनी का सेवन सबके लिए ‘‘बुरा’’ नहीं है, लेकिन इसे स्वस्थ आहार और व्यायाम के साथ-साथ कम मात्रा में खाया जाना चाहिए. रिसर्चर सलाह देते हैं कि अपने आहार से चीनी को अचानक नहीं हटाना चाहिए बल्कि इसे धीरे-धीरे दूर करें.
जासूसी की दुनिया में डबल एजेंट वो स्पाई होता है, जो एक देश या संगठन के लिए काम करते हुए गुप्त रूप से उसके दुश्मन या प्रतिद्वंद्वी के लिए भी जासूसी करता है. डबल एजेंट एक पक्ष को भरोसा दिलाते हैं कि वह उनके लिए काम कर रहे हैं, लेकिन असल में वह दूसरे पक्ष को उनकी जानकारी और रणनीतियां पहुंचाते हैं. ऐसा ही एक डबल एजेंट भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ में भी था.
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भारत और अमेरिका ने समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए मिलकर आधुनिक समुद्री ड्रोन, ग्लाइडर और निगरानी सिस्टम बनाने का निर्णय लिया है. इस पहल के तहत ऐसे स्वायत्त हथियार बनाए जाएंगे, जो समुद्र में लंबे समय तक काम कर सकें और जहाजों की गतिविधियों पर नजर रख सकें. इस समझौते की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी नेतृत्व के बीच बैठक के दौरान की गई थी.
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भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुए रक्षा समझौते से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है, जिससे संयुक्त उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाएगा.
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विश्व परिक्रमा पर निकली भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारियों का सामना समुद्र में लगातार बारिश, 75 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल रही तेज हवाओं और 5 मीटर से अधिक ऊंची समुद्री लहरों से हुआ. इन सभी बाधाओं को पार करते हुए भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. ने दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी सिरे पर स्थित केप हॉर्न को सफलतापूर्वक पार कर लिया है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के बाद ऐलान किया कि भारत व्यापार घाटे को कम करने के लिए एफ-35 फाइटर जेट समेत अन्य सैन्य हार्डवेयर खरीदेगा. हालांकि भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने साफ किया कि अभी एफ-35 खरीदने का प्रस्ताव मिला है. इस पर औपचारिक तरीके से प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है.