अगले 30 साल में डिमेंशिया के मामले 3 गुना बढ़ने का अनुमान, जानिए रिस्क फैक्टर
The Quint
Dementia in Hindi: Symptoms And Risk Factors of Dementia अमेरिकी वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक 15 करोड़ से अधिक हो जाएगी डिमेंशिया के मरीजों की संख्या, जानिए डिमेंशिया क्या है और इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले 30 साल में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से जूझ रहे लोगों की तादाद में दुनिया भर में तीन गुना इजाफा हो सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स ने अनुमान लगाया है कि साल 2050 तक डिमेंशिया (Dementia) वाले लोगों की संख्या लगभग तीन गुनी होकर 15.2 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी.इसके सबसे ज्यादा मामले ईस्टर्न सब-सहारा अफ्रीका, नॉर्थ अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में बढ़ने का अनुमान है.हर साल प्रति 1 लाख लोगों में से 10 लोगों को 65 साल की उम्र के पहले डिमेंशिया होने का अनुमान है. इस तरह दुनिया भर में हर साल अर्ली ऑनसेट डिमेंशिया के 350,000 नए मामले सामने आ सकते हैं.ये डेटा अल्जाइमर एसोसिएशन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस (AAIC) 2021 में पेश किया गया.डिमेंशिया क्या है?(फोटो: iStock)याददाश्त, भाषा, प्रॉब्लम-सॉल्विंग और सोचने-समझने की क्षमता में इस हद तक गिरावट होना कि रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ने लगे, इसके लिए डिमेंशिया शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.इसमें मरीज की याददाश्त घटने लगती है, छोटी से छोटी बात को भी याद नहीं रख पाता है. जब यह बीमारी अधिक बढ़ जाती है, तो मरीज को लोगों के चेहरे तक याद नहीं रहते हैं. सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है.डिमेंशिया कोई एक सिंगल बीमारी नहीं है, ये ऐसा है जैसे दिल की बीमारियों में दिल से जुड़ी कई मेडिकल कंडिशन आ सकती हैं.डिमेंशिया के अंतर्गत जो कंडिशन देखी जाती हैं, वो दिमाग में हुए असामान्य बदलाव के कारण होती हैं. इन असामान्य बदलाव से सोचने-समझने की क्षमता, जिसे कॉग्निटिव यानी संज्ञानात्मक क्षमता कहते हैं, में गिरावट होती है. इसका असर इंसान के बर्ताव से लेकर भावना और रिश्ते पर भी पड़ता है.डिमेंशिया के 60-70 फीसदी मामले अल्जाइमर रोग के होते हैं. वहीं डिमेंशिया का दूसरा कॉमन कारण वैस्कुलर डिमेंशिया है, जो दिमाग में माइक्रोस्कोपिक ब्लीडिंग और रक्त वाहिकाओं की ब्लॉकेज से होता है.ADVERTISEMENTDementia के मामले बढ़ने की वजहडिमेंशिया के मामलों के बढ़ने की एक वजह उम्रदराज आबादी का बढ़ना है. इसके अलावा बढ़ता मोटापा, डायबिटीज, बैठी रहने वाली जीवनशैली भी डिमेंशिया का रिस्क बढ़ाती है.शोधकर्ताओं का अनुमान है कि धूम्रपान यानी स्मोकिंग, हाई बॉडी मास इंडेक्स और हाई ब्लड शुगर में अनुमानित रुझानों के आधार पर ड...More Related News