अंशु मलिक का विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतना क्यों है इतना ख़ास
BBC
टोक्यो ओलंपिक में अंशु मलिक को निराशा हाथ लगी थी. लेकिन उसे पीछे छोड़कर अंशु ने विश्व चैंपियनशिप में इतिहास रचा.
हरियाणा के जींद ज़िले के निडानी गाँव की अंशु मलिक जब विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप के मंच पर नज़र आईं, तो उनके बाएँ हाथ पर टेपिंग दिख रही थी.
टोक्यो ओलंपिक से पहले से ही उन्हें चोट लगी थी, जो ओलंपिक के दौरान और बढ़ गई थी. इसके बावजूद अंशु मलिक ने दो महीने की कड़ी ट्रेनिंग कर विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का फ़ैसला किया और इतिहास रचा.
वे ओस्लो (नॉर्वे) में आयोजित हुए विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप के फ़ाइनल में पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं और रजत पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं.
इसके साथ-साथ वे फ़ाइनल में पहुँचने वाली तीसरी भारतीय पहलवान हैं. उनसे पहले यह कारनामा केवल दो पहलवान सुशील कुमार (पुरुष वर्ग) और बजरंग पुनिया (पुरुष वर्ग) ने कर दिखाया था.