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'अंजाम भुगतना होगा...' रूस की धमकी के बाद फिनलैंड अपने बॉर्डर पर उठाने जा रहा बड़ा कदम
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यूक्रेन के बाद अब फिनलैंड को भी रूस के हमले का डर सताने लगा है. इस कारण अब फिनलैंड अपनी सीमा पर फेंसिंग करने जा रहा है. रूस और फिनलैंड के बीच 1300 किमी लंबी सीमा है.
यूक्रेन पर रूसी हमले के खौफ का असर अब यूरोप में दिखने लगा है. रूस से सटे फिनलैंड ने अब अपनी सीमा को और मजबूत करने का फैसला लिया है. फिनलैंड ऐसा रूस के संभावित हमले से बचने के लिए कर रहा है.
यूक्रेन जंग के बाद फिनलैंड NATO में शामिल होना चाहता है और रूस ने उसे अंजाम भुगतने की धमकी दी है. रूस के साथ फिनलैंड की 1300 किमी लंबी सीमा लगती है. अपनी सीमा को मजबूत करने के लिए फिनलैंड यहां पर फेंसिंग करने जा रहा है. इसके लिए फिनलैंड ने सीमा से जुड़े अपने कानून में बदलाव भी किया है. इससे उसे सीमा पर बैरियर लगाने की छूट मिल गई है.
दरअसल, फिनलैंड अमेरिका और यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन NATO में शामिल होना चाहता है. फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन ने पिछले महीने NATO में शामिल होने का ऐलान किया था. उसी समय रूस ने फिनलैंड को अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. रूस के विदेश मंत्रालय ने उस समय कहा था कि अगर फिनलैंड NATO का सदस्य बनता है तो इससे रूस-फिनलैंड के रिश्तों के साथ-साथ उत्तरी यूरोप में स्थिरता और सुरक्षा को गंभीर नुकसान होगा.
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रूस की धमकी से डरा फिनलैंड!
NATO यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन को 1949 में शुरू किया गया था. उस समय सोवियत संघ (अब रूस) की विस्तारवादी नीति को रोकने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों ने इस सैन्य गठबंधन को बनाया था. इसका मकसद था कि अगर कोई बाहरी देश किसी NATO देश पर हमला करता है, तो बाकी सदस्य देश इसे अपने ऊपर हुआ हमला मानेंगे और उसकी रक्षा के लिए सभी मदद करेंगे.
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