
अंग्रेजों का 103 साल पुराना आइडिया, रैट माइनिंग का कमाल और 41 जिंदगियों के जीतने की बेमिसाल कहानी!
AajTak
Uttarkashi Tunnel Crisis: 17 दिन. ठीक 400 घंटे. एक अंधेरी सुरंग. घुप्प अंधेरा. न हवा. न रौशनी. न खाना. न पानी. पत्थर जैसे पहाड़ के अंदर पथरीली जमीन पर बिस्तर, मगर आंखों से नींद कोसों दूर थी. बस यूं समझ लीजिए कि एक जिंदा कब्र में 41 जिंदा इंसान मुर्दा बन कर क़ैद थे.
Uttarkashi Tunnel Crisis: एक सुरंग के अंदर 41 मजूदर ऐसी जगह फंस गए थे, जहां तक सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच रही थी. उन मजदूरों तक खाना और पानी भी आठ दिन बाद पहुंचा. इस दौरान दुनिया के कई देशों के एक्सपर्ट से संपर्क किया गया. कुछ को उत्तरकाशी बुलाया गया. अमेरिका से मशीनें तक मंगवाई गई. लेकिन उन मजदूरों तक पहुंचने का रास्ता और उन्हें बाहर निकालने का आइडिया चूहों ने दिया. जिसे पूरी दुनिया रैट माइनिंग के नाम से जानती है. आइए सिलसिलेवार तरीके से जान लेते हैं 17 दिन के इस रेस्क्यू मिशन की पूरी कहानी.
मुर्दा बनकर क़ैद थे जिंदा इंसान 17 दिन. ठीक 400 घंटे. एक अंधेरी सुरंग. घुप्प अंधेरा. न हवा. न रौशनी. न खाना. न पानी. पत्थर जैसे पहाड़ के अंदर पथरीली जमीन पर बिस्तर, मगर आंखों से नींद कोसों दूर थी. बस यूं समझ लीजिए कि एक जिंदा कब्र में 41 जिंदा इंसान मुर्दा बन कर क़ैद थे. बाहर निकलने के लिए ना कोई रास्ता, ना दरवाजा, ना पहाड़ों के दामन से झांकती कोई खिड़की.
पहाड़ों और इंसानों के बीच ख़ामोश लड़ाई 145 करोड़ हिंदुस्तानियों में से 41 हिंदुस्तानी अचानक जैसे कट गए हों. मानों उनकी पूरी दुनिया ही साठ मीटर के एक अंधेरे सुरंग में घुट कर रह गई हो. इन 17 दिनों और कुल 400 घंटों के दौरान पहाड़ों और इंसानों के बीच एक ख़ामोश लड़ाई जारी थी. लड़ाई इसलिए खामोश थी कि जिन पहाड़ों के सीने और दामन पर बड़ी-बड़ी नुकीली मशीनें बार-बार वार किए जा रही थी, उससे गुस्सा कर या नाराज होकर कहीं पहाड़ फिर से नीचे जमीन पर आना ना शुरू कर दें.
12 नवंबर की रात हुआ हादसा वैसे भी सदियों से पहाड़ों ने जब-जब अपने तेवर बदले हैं तबाही के ऐसे निशान छोड़े हैं जो एक पल में इंसान और इंसानी बस्तियों को मिटा गए. इस बार भी ये पहाड़ कुछ इसी तरह ठीक दिवाली की सुबह चार बजे 12 नवंबर को खुद के सीने को बड़ी बड़ी मशीनों से चाक किए जाने पर ऐसे ही नाराज हुए थे. ये पहाड़ों की नाराजगी ही थी जिसने 41 इंसानों को अपनी गोद में कैद कर लिया था.
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में बननी थी सुरंग बात दिसंबर 2016 की है. जब पहली बार देवभूमि यानी उत्तराखंड की चार धामों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदरनाथ और बद्रीनाथ को एक चौड़ी सड़क से जोड़ने का ऐलान हुआ था. इसके तहत लगभग 9 सौ किमी लंबी दो लेन वाली सड़क को बनाने का काम शुरू हुआ. 12 हजार करोड़ रुपये का बजट था. अगले साल शायद काम पूरा भी हो जाए. इसी सड़क के रास्ते में उत्तरकाशी के करीब सिलक्यारा की पहाड़ियों को काट कर साढ़े चार किमी लंबी एक सुरंग बनाई जा रही थी. इस सुरंग के बन जाने से दो घंटे की दूरी पांच मिनट में तय हो जाती. सिलक्यारा की तरफ सुरंग की मुंह से 60 मीटर अंदर तक खुदाई हो चुकी थी.
आग तरह फैली हादसे की ख़बर लेकिन 12 नवंबर की सुबह 4 बजे अचानक पहाड़ का एक हिस्सा भरभरा कर नीचे गिर पड़ा. ये हिस्सा ऐसी जगह गिरा था, जहां से सुरंग का मुंह खुलता था. अब सिलक्यारा का मुंह बंद हो चुका था और दूसरी तरफ कोई रास्ता ही नहीं था. 12 नवंबर की सुबह सुरंग के 60 मीटर अंदर 41 मजदूर काम कर रहे थे. और वो सब के सब अब अंदर फंस चुके थे. धीरे-धीरे फंसे मजदूरों की खबर उत्तरकाशी से देहरादून और फिर दिल्ली होते हुए पूरे देश में फैल गई. और इसके साथ ही उन्हें बाहर निकालने की कवायद भी शुरू हो गई. वो तो शुक्र था कि मजदूर कुछ खाना-पानी अपने साथ ले गए थे, अगले कुछ दिन उसी से उनका गुज़ारा हुआ.

चार्जशीट का एक हिस्सा 3 मार्च को मीडिया में वायरल हो गया, जिसमें वाल्मीक कराड के साथियों द्वारा संतोष देशमुख की हत्या करने की तस्वीरें दिखाई गईं. इन तस्वीरों के मीडिया में आने के बाद जनता की प्रतिक्रिया को भांपते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, राकांपा महाराष्ट्र प्रमुख सुनील तटकरे, धनजय मुंडे और भाजपा राज्य प्रमुख और राजस्व मंत्री चन्द्रशेखर बावनकुले के साथ बैठक की.

चार्जशीट का एक हिस्सा 3 मार्च को मीडिया में वायरल हो गया, जिसमें वाल्मीक कराड के साथियों द्वारा संतोष देशमुख की हत्या करने की तस्वीरें दिखाई गईं. इन तस्वीरों के मीडिया में आने के बाद जनता की प्रतिक्रिया को भांपते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, राकांपा महाराष्ट्र प्रमुख सुनील तटकरे, धनजय मुंडे और भाजपा राज्य प्रमुख और राजस्व मंत्री चन्द्रशेखर बावनकुले के साथ बैठक की.

निर्मल गंगा का संकल्प लेकर डबल इंजन सरकार द्वारा चलाई जा रही नमामि गंगे परियोजना के शानदार परिणाम मिलने लगे हैं. ताजा रिपोर्ट के अनुसार गंगा नदी में एक बार फिर डॉल्फिन की संख्या बढ़ गई है. रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में डॉल्फिनों की संख्या सबसे अधिक 2,397 है. इसके बाद बिहार में 2,220, पश्चिम बंगाल में 815, असम में 635, झारखंड में 162, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 95 जबकि पंजाब में 3 डॉल्फिन हैं.

राजस्थान में शिक्षक पात्रता परीक्षा (REET) की परीक्षा के दौरान डूंगरपुर में एक विवाद उत्पन्न हुआ जब विद्यार्थियों को जनेऊ उतरवाकर परीक्षा में बैठने के लिए कहा गया. इस घटना ने राजनीतिक मोर्चे पर गर्माहट ला दी. मुख्यमंत्री तक मामला पहुंचने के बाद, दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है. कांग्रेस ने इस घटना को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं. VIDEO

कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा पर की टिप्पणी के बाद हंगामा मचा गया है. इसी बीच शमा ने आजतक से बात करते हुए कहा, 'ये मेरा व्यक्तिगत बयान है, मेरी पार्टी का बयान नहीं है. मैंने उनकी सेहत के बारे में बोला है. मैं फिट हूं तो मैंने एक स्पोर्ट्समैन के बारे में बोला है. इतनी बड़ी बात आप लोगों ने की है, मुझे समझ नहीं आता क्यों. और पीएम मोदी भी अभी फिट इंडिया कैंपेन चला रहे हैं ना.'

बिहार विधानसभा में बजट पेश करते हुए नीतीश कुमार की सरकार ने महिलाओं के लिए कुछ खास योजनाओं की घोषणा की, लेकिन सीधे कैश ट्रांसफर जैसी योजना का जिक्र नहीं किया, जो अन्य राज्यों में चुनावी लाभ दिला चुकी है. महिला वोटरों की अहम भूमिका और इसके राजनीतिक प्रभाव के बीच नीतीश की अगले कदम पर सबकी निगाहें हैं.

समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आजमी ने महाराष्ट्र में नया राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. उन्होंने कहा कि वह 17वीं सदी के मुगल बादशाह औरंगजेब को क्रूर, अत्याचारी या असहिष्णु शासक नहीं मानते. उन्होंने कहा कि 'औरंगजेब के बारे में गलत बातें कही जा रही हैं. उसने हिंदुओं के लिए बहुत सारे मंदिर बनवाए.

AAP सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल 5 से 15 मार्च तक होशियारपुर के ध्यान केंद्र में रहेंगे. उन्होंने दिसंबर 2023 में होशियारपुर के आनंदगढ़ में धम्म धज विपश्यना केंद्र में 10 दिवसीय सत्र में भाग लिया था. 5 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से चुनाव हारने के बाद केजरीवाल सार्वजनिक रूप से पार्टी से संबंधित गतिविधियों में नजर नहीं आए हैं.

ओडिशा के गंजाम जिले के अस्का क्षेत्र में निर्माणाधीन इमारत का छत गिरने से दो मजदूरों निरंजन महांति और खादला सेठी की मौत हो गई. दोनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. प्राथमिक जांच में निर्माण कार्य में लापरवाही की आशंका जताई जा रही है.