तीन निर्दलीयों ने BJP का साथ छोड़ थामा कांग्रेस का हाथ... क्या संकट में हरियाणा सरकार, समझें विधानसभा का नंबरगेम
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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और राज्य कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में तीनों निर्दलीय विधायकों ने रोहतक में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में समर्थन वापसी की घोषणा की. 12 मार्च को ही नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वहीं 13 मार्च को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.
हरियाणा में मंगलवार को अचानक बड़ा सियासी घटनाक्रम देखने को मिला. यहां बीजेपी से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया. निर्दलीयों में पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं. इन विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को अपना समर्थन दे भी दिया. इसके बाद कांग्रेस तुरंत बीजेपी सरकार को अल्पमत में बताने लगी. वहीं बीजेपी कहने लगी चिंता की कोई बात नहीं.
तीनों विधायकों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और राज्य कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में रोहतक में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में समर्थन वापसी की घोषणा की. इस दौरान निर्दलीय विधायक गोंदर ने कहा, "हम सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं. हम कांग्रेस को अपना समर्थन दे रहे हैं. हमने किसानों से जुड़े मुद्दों सहित विभिन्न मुद्दों पर यह निर्णय लिया है.''
बता दें कि 12 मार्च को ही नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वहीं 13 मार्च को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. अचानक हुए इस सियासी घटनाक्रम पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, "मुझे यह जानकारी मिली है. शायद कांग्रेस कुछ लोगों की इच्छाओं को पूरा करने में लगी हुई है. अब कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से कोई लेना-देना नहीं है.”
भाजपा के पास अब 40 सदस्य: कांग्रेस का दावा
प्रेसवार्ता में बोलते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदय भान ने दावा करते हुए कहा, "तीन निर्दलीय विधायकों सोमबीर सांगवान, रणधीर सिंह गोलेन और धर्मपाल गोंदर ने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि (90 सदस्यीय) हरियाणा विधानसभा की वर्तमान ताकत 88 है, जिसमें से भाजपा के 40 सदस्य हैं. भाजपा सरकार को पहले जेजेपी विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन जेजेपी ने भी समर्थन वापस ले लिया था और अब निर्दलीय हैं भी अपना समर्थन वापस ले रहे हैं."
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