क्या इंसानों में लग सकते हैं दूसरी स्पीशीज के ऑर्गन, क्यों सूअर को माना जा रहा मुफीद?
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सूअर की किडनी लगवाने वाले पहले व्यक्ति की सर्जरी के लगभग डेढ़ महीने के भीतर मौत हो गई. अमेरिकी शख्स रिचर्ड स्लेमन के बारे में फिलहाल ये पक्का नहीं कि मौत की वजह नॉन-ह्यूमन किडनी ही थी. इससे पहले भी कई पशुओं के ऑर्गन इंसानी शरीर में फिट किए जा चुके. जानिए, क्या है जेनोट्रांसप्लांटेशन, जिसमें दूसरे जानवरों का हो रहा इस्तेमाल.
अमेरिका में रिचर्ड स्लेमन की मौत हो चुकी. ये पहला शख्स था, जिसके भीतर सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी. मार्च में हुई सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने उसे फिट बता दिया, हालांकि हाल में ही उसकी अचानक मौत हो गई. इससे पहले भी सूअर के अंगों को इंसानों में लगाया जा चुका. ये एक खास तरीका है, जिसमें कुछ मॉडिफिकेशन करके एनिमल ऑर्गन को ह्यूमन्स में लगाया जा रहा है.
इंसानों के लिए जानवरों के अंग क्यों इसकी जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि दुनिया में मानव अंगों की जबर्दस्त कमी हो रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, डोनर के इंतजार में सालाना 50 हजार मौतें होती हैं. हालात ये हैं कि ऑर्गन्स का ब्लैक मार्केट बन चुका. गरीब लोगों को पैसों का लालच देकर उनके अंग निकाले और भारी कीमत पर जरूरतमंदों को बेचे जा रहे हैं.
ब्लैक मार्केट फल-फूल रहा
ईरान को ऑर्गन ब्लैक मार्केट में काफी ऊपर रखा जाता है. ये दुनिया का अकेला देश है, जहां पैसों के लिए अंगों की खरीदी-बिक्री लीगल है. यही वजह है कि दुनिया के बहुतेरे देशों के लोग यहां पहुंचते और अपने ऑर्गन्स बेचते हैं. इंटरनेशनल ब्लैक मार्केट ऑर्गन ट्रेड की अक्सर बात होती रही, जहां गरीब देशों के तस्कर अपने यहां से ऑर्गन्स को दूसरे देशों के अमीर जरूरतमंदों को देते हैं.
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