Stock Market:शेयर खरीदना-बेचना हुआ और आसान!.. SEBI ने T+0 सेटलमेंट बीटा वर्जन समेत इन चीजों की दी मंजूरी
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T+0 सेटलमेंट अब T+1 सेटमेंट के साथ एक ऑप्शन के तौर पर उपलब्ध कराया जाएगा. सेबी का कहना है कि इस नए नियम से बाजार में तरलता बढ़ सकती है और जोखिम भी कम होगा.
शेयर बाजार (Stock Market) में अब नए नियम को सेबी बोर्ड की ओर से मंजूरी मिल चुकी है. मार्केट की रेग्युलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 28 मार्च से वैकल्पिक आधार पर T+0 सेटलमेंट के बीटा वर्जन को लॉन्च करने की मंजूरी दे दी है. 15 मार्च को हुए सेबी बोर्ड मीटिंग में नए ऑप्शनल सेटलमेंट सिस्टम का ऐलान किया. सेबी ने कहा कि प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने 25 शेयरों के सीमिट सेट के लिए और T+0 सेटलमेंट के बीटा वर्जन के लॉन्च की मंजूरी दी है.
सेबी ने अपने बयान में कहा कि बीटा वर्जन के यूजर्स समेत सभी के हित और परामर्श को ध्यान में रखेगा. बोर्ड इस तारीख से तीन और छह महीने के अंत में प्रगति की समीक्षा करेगा और उसके बाद आगे फैसला लेगा. गौरतलब है कि T+0 सेटलमेंट के बीटा वर्जन (T+0 Beta Version) लॉन्च होने के बाद निवेशकों और ट्रेडर्स को शेयर बेचते ही पूरा पैसा मिल जाएगा.
जोखिम होगा कम, बढ़ेगी तरलता सेबी ने इससे पहले T+1 सेटलमेंट लॉन्च किया था. सेबी ने इस सिस्टम को 2021 में लॉन्च किया था, जिसे कई स्टेप में लागू किया गया था. आखिरी चरण जनवरी 2023 में पूरा किया गया था. T+0 सेटलमेंट अब T+1 सेटमेंट के साथ एक ऑप्शन के तौर पर उपलब्ध कराया जाएगा. सेबी का कहना है कि इस नए नियम से बाजार में तरलता बढ़ सकती है और जोखिम भी कम होगा.
विदेशी निवेशकों के लिए भी छूट का ऐलान सेबी ने ट्रेड करने में आसानी लाने के लिए विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों (FPI) के लिए कई छूट की मंजूरी दी है. सेबी ने विदेशी निवेशकों को पहले से उपलब्ध कराई जा चुकी जानकारी में अहम बदलाव के बारे में खुलासा करने की समयसीमा में ढील दी है. सेबी ने कहा कि ट्रेडिंग में आसानी के लिए बोर्ड ने FPI की ओर से अहम बदलावों का खुलासा किए जाने के लिए समयसीमा में छूट देने के प्रस्ताव को मान लिया है.
विदेशी निवेशकों को दो कैटेगरी में मिली छूट अभी एफपीआई को अपने डीडीपी को पहले दिए गए जानकारी में महत्वपूर्ण बदलावों का खुलासा सात वर्किंग डे के दौरान करना होता है. सेबी ने कहा कि एफपीआई के बदलाव को दो अहम कैटेगरी टाइप I और टाइप II में बांटा गया है. टाइप I के मैटेरियल चेंजेज के बारे में FPI को अपने डीडीपी को 7 वर्किंग डे के दौरान बताना होगा. वहीं इसके लिए सपोर्टिंग डॉक्युमेंट देने के लिए बदलाव से 30 दिन का समय होगा. वहीं टाइप 2 में विदेशी निवेशकों को डॉक्युमेंट के साथ बदलाव के 30 दिनों के भीतर जमा करना होगा.
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