Saharanpur: लकड़ी का कारोबार-धार्मिक प्रतीकों की भरमार, सहारनपुर जिले की सियासत और विरासत
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सहारनपुर की पहचान वुड कार्विंग के काम से विश्व भर में फैली हुई है. आज भी यहां तैयार किया गया फर्नीचर पूरे देश में तो पसंद किया ही जाता है, साथ ही बड़े स्तर पर उसका एक्सपोर्ट भी होता है. सियासी तौर पर भी ये जिला काफी अहम माना जाता है.
सहारनपुर, पश्चिम में उत्तर प्रदेश का आखिरी जिला है. सहारनपुर की एक सरहद उत्तराखंड से मिलती है तो इसके दूसरी तरफ हरियाणा है. ये इलाका जहां लकड़ी नक्काशी के लिए पूरी दुनिया में पहचान रखता है, वहीं धार्मिक तौर पर भी इसकी पहचान वर्ल्डवाइड है. मुस्लिम समुदाय के लिहाज से एक बेहद महत्वपूर्ण शहर देवबंद इसी जिले में आता है.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
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