Ramayan: मित्र की इच्छा के लिए विश्वामित्र ने रचा नया स्वर्ग, गुरु वशिष्ठ महर्षि विश्वामित्र की लड़ाई में लटके थे त्रिशंकु
ABP News
रामायण काल की कई घटनाओं से पता चलता है कि गुरु वशिष्ठ और कभी क्षत्रिय रहे महर्षि विश्वामित्र के बीच कई बार टकराव हुआ. चाहे वह सिद्धि हो या शक्ति का. एक समय यह भी आया जब विश्वामित्र ने सशरीर स्वर्ग जाना चाह रहे अपने मित्र के लिए नया स्वर्ग बना दिया, जिसे शप्तऋषि कहा गया, यहां आज भी विश्वामित्र के मित्र त्रिशुंक का वास माना जाता है।
Ramayan : महर्षि विश्वामित्र क्षत्रिय कुल में जन्म के कारण अपने वचन के पक्के माने जाते थे. कहा जाता है कि उनके मित्र राजा त्रिशंकु की इच्छा थी कि वह सशरीर स्वर्गधाम जाएं, लेकिन प्रकृति के नियमों के अनुसार यह संभव नहीं था. ऐसे में त्रिशंकु सिद्धियों से भरपूर गुरु वशिष्ठ के पास गए, लेकिन उन्होंने नियमों के विरुद्ध ना जाने का फैसला लिया. निराश त्रिशंकु वशिष्ठ के पुत्रों के पास गए और आपबीती बताई तो पुत्रों ने क्रोधित होकर उन्हें चांडाल हो जाने का श्राप दे दिया. इसे अपना अपमान मानते हुए त्रिशंकु अपने मित्र विश्वामित्र के पास गए. विश्वामित्र ने कहा- मैं भेजूंगा स्वर्गMore Related News