Mr. & Mrs. Mahi Review: इमोशन्स से भरी है राजकुमार-जाह्नवी की फिल्म, 'टूलकिट' है क्रिकेट, मिस करेंगे गेम स्पिरिट
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Mr. & Mrs. Mahi Review: राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर की मच-अवेटेड फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. आइये आपको बताते हैं ये स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म उम्मीदों पर खरी उतरने की कितनी कोशिश कर पाई है.
'मेरा बेटा बड़ा होकर इंजीनियर बनेगा...मेरी बेटी पढ़-लिखकर डॉक्टर बनेगी.' अक्सर आपने पेरेंट्स को अपने बच्चों से ये कहते सुना ही होगा. कुछ बच्चे अपने पेरेंट्स के सपनों को ही अपना सपना बनाकर उसके लिए मेहनत करने लगते हैं. तो कुछ बच्चे इस लीक से हटकर अपना सपना बुनने की कोशिश करते हैं. कभी-कभी इन सपनों को बुनते हुए वो मंजिल पा जाते हैं. तो वहीं कई इस कोशिश में फेल हो जाते हैं और निराशा मे अपना जीवन बिताते हुए नकारा कहलाते हैं.
लेकिन कई बार इंसान इस निराशा में भी अपनी खुशी खोज ही लेता है, जो नहीं खोज पाता वो 'मिसेज माही का मिस्टर माही' बन जाता है. राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर स्टारर 'मिस्टर एंड मिसेज माही' ऐसी ही एक कहानी है. आइये आपको बताते हैं कैसी है 'मिस्टर एंड मिसेज माही' फिल्म, जिसे डायरेक्ट किया है शरण शर्मा ने. उन्होंने ही इसे निखिल मेहरोत्रा के साथ मिलकर लिखा भी है. फिल्म की कहानी
'मिस्टर एंड मिसेज माही' कहानी है- महेंद्र अग्रवाल (राजकुमार राव) और महिमा अग्रवाल (जाह्नवी कपूर) की. दोनों एक जैसे हैं, माही नाम से लेकर क्रिकेट के लिए अटूट जोश तक, दोनों में बहुत कुछ कॉमन है. महेंद्र बचपन से क्रिकेटर बनना चाहता था, लेकिन पिता (कुमुद मिश्रा) के दबाव में ज्यादा कोशिश नहीं कर पाया. आखिर में उसे दुकान पर बैठना पड़ा और इज्जत के अभाव में जिंदगी सिर्फ काट रहा है. उसके अंदर एक सनक है किसी भी तरह से स्टार बनने की. वहीं दूसरी तरफ महिमा है, जो बचपन में क्रिकेटर बनना चाहती थी, लेकिन पिता के दबाव में डॉक्टर बन गई. अब वो सिर्फ क्रिकेट देखकर ही खुश हो जाती है. कैसे इन दो अलग-अलग मगर एक जैसे लोगों की शादी होती है और कैसे इनके अंदर का क्रिकेटर जागकर, फील्ड पर चौकों-छक्कों की बरसात करता है, ये आपको फिल्म देखने पर पता चलेगा.
फिल्म में है इमोशन्स का अंबार
'मिस्टर एंड मिसेज माही' फिल्म को स्पोर्ट्स-ड्रामा जॉनर में ना डाल कर अगर सिर्फ ड्रामा-ड्रामा कहा जाता तो बेहतर होता. कोई ऐसा इमोशन बचा नहीं, जो इस फिल्म में ना हो. रोमांस, लड़ाई, जलन, गुस्सा, रोना-धोना, धोखा, प्रेरणा, सेलिब्रेशन, मेकर्स ने हर भावना का फिल्म में कूट-कूट कर इस्तेमाल किया है. चाहे पिता का पलभर में बेटे को नकारा साबित करना और उसका सेल्समैन बन जाना हो. या फिर बेटे का खुद को बेस्ट क्रिकेटर मानने से लेकर हारा हुआ महसूस करना, और पत्नी के कंधे पर बंदूक रखकर अपना उल्लू सीधा करना हो. फिर उस पत्नी का खुद के खेल पर भरोसा होने के बाद भी, अपने खेल का सारा दारोमदार पति पर छोड़ देना हो. फिल्म हर पल भावनात्मक उथल-पुथल से जूझती है.
बस जो नहीं दिखता है वो है क्रिकेट का खेल, जिसकी उम्मीद से शायद आप थियेटर जाने की सोचें. इसलिए हमने कहा कि अगर फिल्म को ड्रामा कहा जाता तो बेहतर होता. फिल्म कहीं भी आपको सरप्राइज नहीं करती है, लेकिन अच्छी बात ये है कि जिस ट्रैक से शुरू हुई उससे भटकती भी नहीं है. मिस्टर एंड मिसेज माही को देखने के लिए आपको ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, पर परिवार के साथ एक एंजॉयमेंट तो मिल ही जाएगा. हां, अगर आप हद से ज्यादा सेंसिटिव इंसान हैं तो साथ में रुमाल जरूर रख लीजिएगा.