Mahabharat: कृष्ण की कृपा से नहीं बल्कि दुर्वासा के वरदान से बची थी द्रौपदी की लाज
ABP News
नदी में स्नान के दौरान दुर्वासा के वस्त्र बह गए थे. इस पर द्रौपदी ने अपना आंचल का टुकड़ा उन्हें दिया, जिससे खुश होकर दुर्वासा ने द्रौपदी को वरदान दिया था कि ऐसा ही वस्त्र जरूरत पर तुम्हारे काम आएगा.
Mahabharat : अपने क्रोध के लिए मशहूर दुर्वासा ऋषि पांडवों के आश्रम पहुंचे तो नदी में स्नान के दौरान उनके वस्त्र बह गए, इस पर द्रौपदी ने अपने आंचल का एक टुकड़ा उन्हें पहनने को दिया, जिससे खुश होकर दुर्वासा ने उन्हें वरदान दिया था कि ऐसा ही वस्त्र जरूरत पर उनके बहुत काम आएगा. महाभारत काल में महर्षि दुर्वासा हस्तिनापुर आए तो उनके क्रोध के डर से दुर्योधन ने उनकी खूब सेवा की, लेकिन जब दुर्वासा उसे आशीर्वाद देकर लौटने लगे तो कुटिलता के चलते दुर्योंधन ने उन्हें जंगल में रह रहे पांडवों की कुटिया में जाकर आतिथ्य कराने का अनुरोध किया. दुर्योधन ने ही उन्हें वहां भेजा था और वह भी ऐसे समय जबकि द्रौपदी समेत सभी पांडव भोजन करने के बाद विश्राम कर रहे थे.More Related News