Janmashtami 2023: कलयुग में 2078 साल हो चुकी है श्रीकृष्ण की उम्र, जानें जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
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Janmashtami 2023: भगवान श्री कृष्ण का अवतरण 3228 ईसवी वर्ष पूर्व हुआ था. इस हिसाब से इस साल श्रीकृष्ण का 5250 जन्मोत्सव मनाया जाएगा. कान्हा ने 3102 ईसवी वर्ष पूर्व यह लोक छोड़ दिया था. विक्रम संवत के अनुसार, कलयुग में उनकी आयु 2078 वर्ष हो चुकी है.
Janmashtami 2023: भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में उनके जन्मोत्सव की तैयारी पूरी हो गई है. जिस तरह से श्रावण मास में भगवान शिव की भक्ति होती है, उसी तरह भाद्रपद भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का महीना है. कृष्ण जन्माष्टमी पर भक्तगण पूरा दिन उपवास करते हैं. रात 12 बजे तक भगवान श्रीकृष्ण का जागरण, भजन-कीर्तन, पूजन-अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद पाते हैं. इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 6 और 7 सितंबर को मनाया जा रहा है.
मथुरा के ज्योतिषाचार्य आलोक गुप्ता के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का अवतरण 3228 ईसवी वर्ष पूर्व हुआ था. इस हिसाब से इस साल श्रीकृष्ण का 5250 जन्मोत्सव मनाया जाएगा. कान्हा ने 3102 ईसवी वर्ष पूर्व यह लोक छोड़ दिया था. विक्रम संवत के अनुसार, कलयुग में उनकी आयु 2078 वर्ष हो चुकी है. यानी भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी लोक पर 125 साल 6 महीने 6 दिन रहे थे. इसके बाद वह स्वधाम चले गए.
6 या 7 सितंबर कब है जन्माष्टमी? ज्योतिषविद ने बताया कि गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर दिन बुधवार को जन्माष्टमी मनाएंगे. इस दिन रोहिणी नक्षत्र और रात पूजा में पूजा का शुभ मुहूर्त भी बन रहा है. जबकि 7 सितंबर दिन गुरुवार को वैष्णव संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे. साधु-संत और सन्यासियों में कृष्ण की पूजा का अलग विधान है और इस दिन दही हांडी उत्सव भी मनाया जाएगा.
कैसे कराएं खीरे से बाल गोपाल का जन्म? जन्म के समय जिस तरह बच्चे को गर्भनाल काटकर गर्भाशय से अलग किया जाता है. ठीक उसी प्रकार जन्मोत्सव के समय खीरे का डंठल काटकर कान्हा का जन्म कराने की परंपरा है. जन्माष्टमी पर खीरा काटने का मतलब बाल गोपाल को मां देवकी के गर्भ से अलग करना है. खीरे से डंठल को काटने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है.
भादो कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. जन्माष्टमी की रात डंठल और हल्की सी पत्तियों वाले खीरे को कान्हा की पूजा में उपयोग करें. रात के 12 बजते ही खीरे के डंठल को किसी सिक्के से काटकर कान्हा का जन्म कराएं. इसके बाद शंख बजाकर बाल गोपाल के आने की खुशियां मनाएं और फिर विधिवत बांके बिहारी की पूजा करें.
जन्माष्टमी पूजा में खीरे का महत्व जन्माष्टमी पर बाल गोपल को खीरे का भोग जरूर लगाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि खीरे से भगवान श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं. खीरा चढ़ाने से नंदलाल भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं. पूजा के बाद खीरे को प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि जिस खीरे से कान्हा का नाल छेदन किया हो, अगर वो गर्भवती महिला को खीले दें तो श्रीकृष्ण की भांति संतान पैदा होती है.
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