Govardhan Pooja: कौन थे गोवर्धन, मथुरा में आकर कैसे बनें पर्वत, हर साल क्यों घट रहा आकार
ABP News
Govardhan Pooja: बचपन में श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोर्वधन पर्वत अंगुली पर उठाकर मथुरा वासियों को बाढ़ से बचाया था.
Govardhan Pooja: मान्यता है कि गोवर्धन पूजा से दुखों का नाश होता है और दुश्मन अपने छल कपट में कामयाब नहीं हो पाते हैं. यह गोवर्धन पर्वत आज भी मथुरा के वृंदावन इलाके में स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार पुलस्त्य ऋषि मथुरा में श्रीकृष्ण लीला से पहले ही गोवर्धन पर्वत को लाए थे. हिंदू मान्यता अनुसार पुलस्त्य ऋषि तीर्थ यात्रा करते हुए गोवर्धन पर्वत के पास पहुंचे तो सुंदरता और वैभव देखकर गदगद हो गए और उसे साथ ले जाने के लिए गोवर्धन के पिता द्रोणांचल पर्वत से निवेदन किया कि मैं काशी में रहता हूं, गोवर्धन को ले जाकर वहां पूजा करूंगा.
पुलस्त्य ऋषि के निवेदन पर द्रोणांचल बेटे के लिए दुखी हुए लेकिन गोवर्धन के मान जाने पर अनुमति दे दी. काशी जाने से पहले गोवर्धन ने पुलस्त्य से आग्रह किया कि वह बहुत विशाल और भारी है, ऐसे में वह उसे काशी कैसे ले जाएंगे तो पुलस्त्य ऋषि ने तेज-बल के जरिए हथेली पर रखकर ले जाने की बात कही. गोवर्धन ने कहा कि वह एक बार हथेली में आने के बाद जहां भी रखा जाएगा, वहीं स्थापित हो जाएगा. आग्रह मानकर पुलस्त्य ऋषि गोवर्धन को हथेली पर रखकर काशी चल पड़े. पुलस्त्य ऋषि मथुरा पहुंचे तो गोवर्धन ने सोचा कि श्रीकृष्ण इसी धरती पर जन्म लेने वाले हैं और गाय चराने वाले हैं. ऐसे में वह उनके पास रहकर मोक्ष पा लेगा. यह सोचकर गोवर्धन ने अपना वजन बढ़ा लिया, जिसे उठाने में पुलस्त्य ऋषि को आराम की जरूरत पड़ गई. उन्होंने गोवर्धन पर्वत वहीं जमीन पर दिया और सो गए.