EVM पर कांग्रेस के भीतर कलह, महाराष्ट्र चुनाव में हार का कारण पहले से पता था लेकिन... | Opinion
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कांग्रेस को हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की हार पच नहीं रही है. लगातार ईवीएम पर दोष मढ़ा जा रहा है. कांग्रेस पार्टी अब बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग कर रही है. पर कांग्रेस के कुछ बड़े नेता और महाराष्ट्र चुनावों को लेकर पार्टी की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट तो कुछ और कहानी कहती है.
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मिली भारी पराजय के बाद विपक्ष ने एक बार फिर ईवीएम में गड़बड़ी का राग अलापना शुरू कर दिया है. जबकि सिर्फ पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में इन दोनों राज्यों में कांग्रेस ने बढ़त ली थी. कांग्रेस को लगता है कि ईवीएम में गड़बड़ी कर के चुनावों को प्रभावित किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक ने विपक्ष को बहुत समझाने की कोशिश की पर जब भी हार मिलती है, विपक्ष ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने से नहीं चूकता है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में खुलासा हो गया है कि कांग्रेस को महाराष्ट्र की हार का पता अपनी आंतरिक सर्वें में पहले ही चल गया था. तो क्या कांग्रेस नेता केवल अपनी झेंप मिटाने के लिए ईवीएम में गड़बड़ी की बात कर रहे हैं. क्योंकि कांग्रेस में भी कई नेता ईवीएम में गड़बड़ी की बात पर भरोसा नहीं करते रहे हैं. इसमें चिदंबरम पिता-पुत्र का नाम सबसे ऊपर लिया जा सकता है.
1-कांग्रेस के अंदरूनी सर्वे में क्या आया सामने?
महाराष्ट्र में कांग्रेस को मिली हार इतनी बड़ी हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए थी, क्योंकि चुनावों से पहले राज्य में किए गए आंतरिक सर्वेक्षणों ने स्पष्ट रूप से बताया था कि महाविकास अघाड़ी (एमवीए), जिसका कांग्रेस हिस्सा है, लोकसभा चुनावों में मिली बढ़त को बनाए रखने में नाकाम होने जा रही है. इन सर्वेक्षणों में पार्टी को पहले ही ये बात पता चल गई थी कि एकनाथ शिंदे सरकार की लाड़की बहिन योजना ने लोगों के बीच बहुत तेजी से पैठ बनाई है.
मतदान से चार हफ्ते पहले अक्टूबर में यह सर्वे उन 103 सीटों पर करवाया गया था, जहां MVA मजबूत रही है. लेकिन सर्वे बता रहा था कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन लोकसभा चुनावों में मिली बढ़त को खोता हुआ दिख रहा है. गठबंधन की 103 जिताऊ सीटों में से केवल 44 पर ही जीत की संभावना बन रही थी. इसी सर्वे के अनुसार भाजपा के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन 49 सीटों से बढ़कर 56 सीटों पर अपनी बढ़त बनाता दिख रहा था. खुलासा यह भी हुआ कि मुस्लिम समुदाय ही एकमात्र ऐसा वर्ग है जो एनडीए के बजाय एमवीए को वोट देता दिख रहा है. जबकि अन्य सभी वर्गों जिसमें सामान्य, ओबीसी, एसबीसी, एससी, एसईबीसी, एसटी में एमवीए की लोकप्रियता कम हो रही है और महायुति को फायदा हो रहा है.
2-कांग्रेस ही नहीं विपक्ष के बहुत से नेता मानते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो रही है
महाराष्ट्र में चुनावी हार को लेकर कांग्रेस इतनी व्यथित है कि पार्टी के अधिकतर नेता ईवीएम के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. ईवीएम के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह हों या हिमाचल सीएम सुखविंदर सुक्खु, सभी ने ईवीएम के खिलाफ बयान देने में कोताही नहीं दिखाई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद राहुल गांधी से ईवीएम के खिलाफ अभियान शुरू करने का आग्रह किया और चुनावों में कागजी मतपत्रों के उपयोग का प्रस्ताव दिया. खड़गे ने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी जैसे हाशिये पर रहने वाले समुदायों के वोटों की अनदेखी ईवीएम के कारण हो रही है.
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