EMI बढ़ने से महंगाई कैसे कम होती है? Repo Rate का ये है सीधा कनेक्शन!
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रिजर्व बैंक ने मई महीने में रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाया था. इसके बाद इस महीने यानी जून में फिर से इसे 0.50 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया गया. रिजर्व बैंक का कहना है कि महंगाई को काबू करने के लिए रेपो रेट बढ़ाना जरूरी हो गया है. आइए जानें कि इस उपाय से महंगाई कैसे नियंत्रित होती है...
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को फिर से रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ाने का ऐलान किया. आरबीआई गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने जून की एमपीसी की बैठक (RBI MPC Meet June 2022) के बाद रेपो रेट बढ़ाए (Repo Rate Hike) जाने की जानकारी दी. इससे पहले रिजर्व बैंक ने पिछले महीने यानी मई में आपात बैठक बुलाकर लंबे अंतराल के बाद रेपो रेट बढ़ाने का फैसला किया था. इस तरह पांच सप्ताह के भीतर रेपो रेट 0.90 फीसदी बढ़ चुका है. इसका सीधा असर उन लोगों के ऊपर पड़ रहा है, जो पर्सनल लोन (Personal Loan) या होम लोन (Home Loan) की ईएमआई (EMI) भर रहे हैं. रेपो रेट बढ़ने के बाद सारे बैंक लोन (Bank Loan) की ब्याज दरें बढ़ाने लगे हैं. रिजर्व बैंक ने साफ कहा है कि बेकाबू महंगाई (Inflation) के चलते उसे रेपो रेट बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा है. आइए समझते हैं कि महंगाई का रेपो रेट से क्या कनेक्शन है...आपकी ईएमआई (EMI) बढ़ने से महंगाई कैसे काबू हो सकती है...
जानिए क्यों पड़ी ब्याज दरें बढ़ाने की जरूरत
सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस (CEPPF) के इकोनॉमिस्ट डॉ सुधांशु कुमार (Dr Sudhanshu Kumar) बताते हैं कि जब महामारी के कारण बाजार में डिमांड कम हो गई थी, तब सारे सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दरें घटाकर कैपिटल कॉस्ट (Capital Cost) को कम किया, ताकि डिमांड को आर्टिफिशियली (Artificial Demand) बूस्ट किया जा सके. यह इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) को सपोर्ट करने के लिए तत्कालीन हालात में जरूरी था. अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं. अभी बाजार में गैर-जरूरी डिमांड भी है, जो महंगाई को और ऊपर लेकर जा रही है. महंगाई से पार पाने के लिए इसे नियंत्रित करना सबसे पहला उपाय है.
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महंगाई पर लगाम लगाने का ये सीधा उपाय
डॉ सुधांशु ने कहा, 'मार्च में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) 7 फीसदी पर पहुंची, फिर अप्रैल में यह 7.8 फीसदी तक पहुंच गई, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा है. अमेरिका (US), ब्रिटेन (UK) जैसे डेवलप्ड इकोनॉमीज भी दशकों की सबसे ज्यादा महंगाई से जूझ रहे हैं. जब महंगाई रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच जाए, तो सेंट्रल बैंक की प्रॉयरिटी इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) को सपोर्ट करने से ज्यादा महंगाई को काबू करना हो जाता है. अगर बाजार से लिक्विडिटी (Liquidity) कम कर दी जाए या मॉनिटरी पॉलिसीज (Monetary Policy) के जरिए आर्टिफिशियल डिमांड (Artificial Demand) को कंट्रोल किया जाए, तो महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इसी कारण अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (Fed Reserve) समेत तमाम सेंट्रल बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं.'
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