Eid-ul-Adha : अल्लाह के प्रति गहरी आस्था और विश्वास की मिसाल है 'ईद-उल-अजहा'
NDTV India
ईद-उल-अजहा का स्पष्ट संदेश है कि अल्लाह के रास्ते पर चलने के लिए अपनी सबसे प्रिय वस्तु की कुर्बानी भी देनी पड़े तो खुशी से दें. क्योंकि अल्लाह आपको नेकी और अच्छाई के रास्ते पर चलने का संदेश देते हैं.
देखा जाए तो इस्लाम धर्म के दो प्रमुख त्योहार होते हैं. एक को ईद-उल-फितर कहते हैं और दूसरे को ईद-उल-अजहा. ईद-उल-फितर को भारत में मीठी ईद भी कहते हैं और ईद-उल-अजहा को बकरीद. ईद त्योहार एक ख़ास संदेश के साथ मनाया जाता है, ईद सबसे प्रेम करने का संदेश देता है. बकरीद अल्लाह पर भरोसा रखने का संदेश देता है. ईद-उल-अजहा कुर्बानी का दिन है. बकरीद दुनिया भर के इस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार है. ये पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार की सीख है कि नेकी और अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देनी पड़ती है. हजरत इब्राहिम ने दी थी कुर्बानी यह पर्व मुस्लिमों के लिए बेहद खास है. ये पर्व हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति विश्वास की याद में मनाया जाता है. इस्लामिक ग्रंथों के मुताबिक हजरत इब्राहिम, अल्लाह में सबसे ज्यादा विश्वास करते थे. उनकी परीक्षा लेने के लिए उन्हें अपने बेटे की कुर्बानी देने का हुक्म हुआ. हजरत का अल्लाह पर भरोसा इतना ज्यादा था कि वे इसके लिए भी तैयार हो गए. लेकिन जैसे ही उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने के कोशिश की तो कुर्बानी के लिए उनके बेटे के बजाए एक दुंबा वहां आ गया. इसी बात को आधार मानकर बकरीद के दिन जानवरों की कुर्बानी दी जाती है. ये त्योहार अल्लाह पर भरोसे की मिसाल के तौर पर देखा जाता है.More Related News