DNA ANALYSIS: ओलंपिक खेलों में डबल स्टैंडर्ड्स, जानिए ताइवान क्यों नहीं गा सकता अपना राष्ट्रगान?
Zee News
ताइवान में इसे लेकर कई मुहिम भी चलाई जा चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद ये दोहरे मापदंड आज भी जारी हैं. दुनिया के इतिहासकार और बड़े लेखक इसे उसके लिए अपमानजनक मानते हैं क्योंकि, ओलंपिक खेलों में उस पर पहले ये बंदिशें नहीं थीं.
नई दिल्ली: आज हम आपको ओलंपिक खेलों से जुड़े कुछ Double Standards के बारे में बताएंगे. भारत की बॉक्सर लवलीना ने दूसरे क्वार्टर फाइनल में ताइवान की बॉक्सर को हरा कर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की है, लेकिन ओलंपिक खेलों में ये हार ताइवान की खिलाड़ी की नहीं, बल्कि चाइनीज ताइपे की खिलाड़ी की है. ताइवान इसी नाम से ओलंपिक खेलों में भाग लेता है. यानी इन खेलों में ताइवान खुद को ताइवान भी नहीं कह सकता. सोचिए, एक देश के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा? 27 जुलाई को ताइवान की वेट लिफ्टर ने जब 59 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था तो उन्हें ये कहने की भी इजाजत नहीं थी कि ये मेडल उन्होंने ताइवान के लिए जीता है. गोल्ड मेडल लेने के लिए जब वो पोडियम पर खड़ी हुईं तो इस दौरान न तो ताइवान का राष्ट्रीय ध्वज ऊपर किया गया और न ही ताइवान का राष्ट्रगान इस दौरान बजाया गया, जबकि किसी और देश का खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीतता है, तो उसके देश का राष्ट्रीय ध्वज भी ऊपर किया जाता है और उस देश का राष्ट्रगान भी होता है, लेकिन इस देश को चीन के डर से ये सम्मान ओलंपिक खेलों में कभी नहीं मिलता.More Related News