Delhi Pollution: देश का सबसे प्रदूषित क्षेत्र है दिल्ली का बवाना इलाका, बेहद खराब है आबोहवा
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Delhi Pollution: बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदूषकों के लगातार संपर्क में आने से किसी भी व्यक्ति में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. जिन लोगों को सांस की समस्या है, उन्हें ऐसे प्रदूषकों से दूर रहना चाहिए. ऐसी स्थितियों में बच्चों का भी खास ध्यान रखना चाहिए.
Delhi Pollution: साल 2021 में पहली बार एयर क्वालिटी इंडेक्स राष्ट्रीय राजधानी में 900 के निशान को पार कर गया. इसके साथ ही दिल्ली का यह इलाका देश का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बन गया. उत्तरी दिल्ली के बवाना इलाके में 914 की AQI इंडेक्स रीडिंग के साथ हवा की क्वालिटी 'Hazardous' श्रेणी की दर्ज की गई. यह रीडिंग पिछले साल फरवरी के AQI रीडिंग से लगभग तीन गुना अधिक है जो औसतन 350 दर्ज की गई थी. बवाना एक औद्योगिक क्षेत्र है और इलाके में प्रमुख प्रदूषक पदार्थ (PM) 2.5 रहता है जिसका कारण है कार्बन उत्सर्जन और इसके बाद आता है PM 10 जिसका कारण है निर्माण, मलबा और अन्य अपशिष्ट. दिल्ली का द्वारका क्षेत्र 809 नंबर के AQI के साथ दूसरे स्थान पर है और वो भी 'Hazardous' श्रेणी में आता है. जिस पैमाने पर AQI को मापा जाता है, उसमें 1000 से अधिक रीडिंग नहीं होती हैं, जो यह दर्शाता है कि दिल्ली कितना गंभीर रूप से प्रदूषित है.सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
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हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.