हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद सेबी ने Adani की 6 कंपनियों को भेजा कारण बताओ नोटिस, जानिए क्यों?
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Adani Enterprises: SEBI नोटिस के मुताबिक, आरोप है कि कंपनी ने अपेक्षित अप्रूवल प्राप्त नहीं किया है और फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में आवश्यक खुलासे की जानकारी नहीं दी है.
गौतम अडानी की 6 कंपनियों को सेबी की ओर से कारण बताओ नोटिस मिला है. सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने अडानी एंटरप्राइजेज को दो कारण बताओ नोटिस भेजा है. सेबी का कहना है कि कंपनी ने लिस्टिंग एग्रीमेंट और डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट (LODR regulations) को लेकर नियमों का पालन नहीं किया गया है.
कंपनियों ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इसका खुलासा किया है. अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी पावर, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस, अडानी विल्मर और अडानी टोटल गैस ने भी इसकी जानकारी दी. यह वित्त वर्ष 2024 के चौथी तिमाही के रिजल्ट से जुड़ा मामला है. कंपनी ने कहा कि सेबी द्वारा कथित गैर-अनुपालन थर्ड पार्टी के साथ कुछ लेनदेन के संबंध में पार्टी लेनदेन और पिछले वर्षों में रिव्यू सर्टिफिकेट्स ऑफ स्टैटुटोरी ऑडिटर्स की वैलिडिटी से संबंधित है.
कंपनी ने कहा कि जनवरी 2023 में अडानी समूह की कंपनियों पर आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी एंटरप्राइजेज ने एक कानूनी फर्म द्वारा एक स्वतंत्र मूल्यांकन के माध्यम से अप्रैल 2023 में शॉर्ट-सेलर रिपोर्ट (एसएसआर) में संदर्भित लेनदेन की समीक्षा की थी. कंपनी ने स्पष्ट किया कि कानूनी फर्म के मूल्यांकन से पता चला कि एसएसआर में मूल कंपनी या उसकी सहायक कंपनियों से संबंधित पक्ष नहीं था.
नोटिस का असर होने की संभावना नहीं अडानी ग्रुप ने कहा कि कानूनी आधार पर नियामक के नोटिस का असर होने की संभावना नहीं है. हालांकि कुछ कंपनियों को छोड़कर सेबी की जांच के नतीजे भविष्य में फाइनेंशियल स्टेटमेंट को प्रभावित कर सकते हैं. अडानी एंटरप्राइजेज के ऑडिटरों ने राय में कहा कि परिस्थितियों में किसी भी बदलाव या उपलब्ध अतिरिक्त जानकारी के आधार पर हम अपनी राय पर इस मामले के प्रभाव का मूल्यांकन करना जारी रखेंगे.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद नोटिस सेबी की ओर से नोटिस अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सेबी की जांच के बाद जारी किए गए है. कारण बताओ नोटिस कोई बड़ी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह कंपनियों से यह बताने के लिए होता है कि उनके खिलाफ मॉनेटरी पेनॉल्टी समेत कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए.
क्या है आरोप? SEBI नोटिस के मुताबिक, आरोप है कि कंपनी ने अपेक्षित अप्रूवल प्राप्त नहीं किया है और फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में आवश्यक खुलासे की जानकारी नहीं दी है. गौरतलब है कि सेबी ने अगस्त में सुप्रीम कोर्ट को दी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसने 13 विशिष्ट संबंधित पार्टी लेनदेन की पहचान की है. जहां वह अंडरलेइंग डील की जांच कर रहा है.
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