हार निश्चित... फिर भी INDIA गठबंधन का मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव? 5 point में समझें प्लान
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संसद में मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी को घेरने के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस दिया है. स्पीकर ने इसे स्वीकार कर लिया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपना एजेंडा सेट करने की कोशिश करेंगे.
संसद का मॉनसून सत्र पहले दिन से ही विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. दरअसल वह मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जवाबदेही तय करने और इस हिंसा पर बहस करने की मांग कर रहा है. हालांकि गृहमंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत कई नेता बार-बार सदन में इस मुद्दे पर खुलकर बहस करने की बात कह रहे हैं लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है. वह चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में इस पर जवाब दें.
यही वजह है कि विपक्षी गठबंधन INDIA की तरफ से कांग्रेस ने बुधवार को संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया. इसी के साथ ही कांग्रेस ने कहा कि सरकार पर से लोगों को भरोसा टूट रहा है. हम चाहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा पर कुछ बोलें लेकिन वह बात ही नहीं सुनते. पीएम सदन के बाहर तो बात करते हैं लेकिन सदन में कुछ नहीं बोलते. आइए समझते हैं कि आंकड़े न होने के बाद भी कांग्रेस यह अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रही है. उसके इस कदम के पीछे क्या प्लान है?
'मणिपुर पर पीएम मोदी के बयान से कम कुछ भी मंजूर नहीं...', INDIA गठबंधन ने दिया अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे के राजनीतिक मायने समझने से पहले यह जान लेते हैं कि क्या यह अविश्वास प्रस्ताव टिक भी पाएगा और इसे लाने का क्या नियम है.
अगर लोकसभा में किसी विपक्ष दल को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है. संविधान के अनुच्छेद-75 के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है. अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो पीएम समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है.
कोई सदस्य लोकसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावाली के नियम 198(1) से 198(5) के तहत लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है. इसके लिए उसे सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होती है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उस प्रस्ताव को कम से कम 50 सांसदों ने स्वीकृति दी हो. इसके बाद अगर लोकसभा स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के भीतर इस पर चर्चा जरूरी है.
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