हाथ से मैला साफ़ करने के कारण कोई मौत नहीं होने के सरकार के जवाब से कार्यकर्ता नाराज़
The Wire
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने संसद में कहा था कि हाथ से मैला साफ-सफाई के कारण किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि हाथ से मैला ढोना पहले से ही अमानवीय है. सरकार सम्मान के मौलिक अधिकार से इनकार कर रही है. इन लोगों और मौतों की गिनती तक नहीं कर रही है. यह अस्पृश्यता का एक आधुनिक रूप है. एक दलित के जीवन की अनदेखी है.
नई दिल्ली: केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए इस जवाब को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं मिली हैं कि हाथ से मैला साफ-सफाई के कारण किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे लोगों की मौत के बाद भी उनकी गरिमा छीन ली गई. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि हाथ से मैला उठाने वाले 66,692 लोगों की पहचान हुई है. यह प्रश्न किए जाने पर कि हाथ से मैला ढोने वाले ऐसे कितने लोगों की मौत हुई है, उन्होंने कहा, ‘हाथ से सफाई के कारण किसी की मौत होने की सूचना नहीं है.’ सरकार हाथ से मैला सफाई के कारण मौत को मान्यता नहीं देती और इसके बजाय इसे खतरनाक तरीके से शौचालय टैंक एवं सीवर की सफाई के कारण मौत बताती है.More Related News