साइकिल पर सवार हो कर आई औरत की आज़ादी
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19वीं सदी की प्रमुख महिला अधिकारवादियों में एक सूजन बी एंथनी ने एक बार कहा था, "मैं आपको साइकिल चलाने के बारे में अपनी सोच से वाकिफ़ कराना चाहती हूं. मैं सोचती हूं कि स्त्रियों को बंधन मुक्त करने में जितना योगदान इसने दिया है, उतना शायद ही दुनिया में किसी ने दिया है."
पिछले लॉकडाउन में 13 वर्षीय ज्योति पासवान की गुरुग्राम से दरभंगा तक साइकिल पर की गई साहसिक यात्रा ने उसे 'साइकिल गर्ल' का खिताब दिलवा दिया. एक दुर्घटना में जख्मी अपने पिता को वे गुरुग्राम से साइकिल पर बिठा कर बड़े हौसले से दरभंगा के सिंहवाड़ा स्थित अपने गांव सिरहुल्ली ले गईं थीं. 2006 में नीतिश कुमार ने 'मुख्यमंत्री साइकिल योजना' की शुरुआत की थी. ज्योति की बड़ी बहन पिंकी देवी को भी साइकिल मिली थी. उसी साइकिल से ज्योति ने साइकिल चलाना सीखा था. अगर उन्हें साइकिल का सहारा न मिला होता तो लॉकडाउन की त्रासदी में अपने घायल पिता को वे गुरुग्राम से दरभंगा तक के लगभग 1200 किलोमीटर लंबे सफर पर ले चलने का साहस न दिखा पातीं और न ही महिलाओं की उस शक्ति का प्रतीक बन पातीं जिससे आज लाखों लड़कियां प्रेरणा पा रहीं हैं.More Related News