समलैंगिक विवाह मामले पर अदालत को नहीं, लोगों को फैसला करना चाहिए: किरेन रिजिजू
The Wire
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों को क़ानूनी मंज़ूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जो भारत के प्रत्येक नागरिक से संबंधित है. यह लोगों की इच्छा का सवाल है. लोगों की इच्छा संसद या विधायिका या विधानसभाओं में परिलक्षित होती है
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को कहा कि विवाह जैसी महत्वपूर्ण संस्था का फैसला देश के लोगों को करना चाहिए. अदालतें ऐसा मंच नहीं हैं, जहां ऐसे मुद्दों को सुलझाएं.
एनडीटीवी के मुताबिक, उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि वह इस मामले को ‘सरकार बनाम न्यायपालिका’ का मुद्दा नहीं बनाना चाहते हैं. मंत्री ने जोर देकर कहा, ‘ऐसा नहीं है. बिल्कुल नहीं.’
एक कार्यक्रम के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘यह एक ऐसा मामला है, जो भारत के प्रत्येक नागरिक से संबंधित है. यह लोगों की इच्छा का सवाल है. लोगों की इच्छा संसद या विधायिका या विधानसभाओं में परिलक्षित होती है.’
जाहिर तौर पर इस मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत की संविधान पीठ का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा, ‘अगर पांच बुद्धिमान व्यक्ति कुछ ऐसा तय करते हैं जो उनके अनुसार सही हो – मैं उनके खिलाफ किसी तरह की प्रतिकूल टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन अगर लोग ऐसा नहीं चाहते आप चीजों को उन पर थोप नहीं सकते.’