सब महाराष्ट्र-झारखंड में व्यस्त रहे, यूपी उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ ने खेला कर दिया । Opinion
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उत्तर प्रदेश मे 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से उत्तर प्रदेश के भविष्य की राजनीति जुड़ी हुई है. यह न केवल अखिलेश यादव बल्कि योगी आदित्यनाथ के लिए भी जीवन मरण का भी प्रश्न है. रूझानों के अनुसार तो योगी आदित्यनाथ ने कमाल कर दिया है.
उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव इस बार योगी आदित्यनाथ के लिए जीवन मरण का प्रश्न बन गया था. पर जिस तरह के रुझान आ रहे हैं उससे यही लगता है कि योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कमाल कर दिया है. खबर लिखे जाने तक सिर्फ करहल और सीसामऊ में समाजवादी पार्टी बीजेपी से आगे है. शेष सभी सीटों पर बीजेपी अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी से आगे चल रही है. फिलहाल लोकसभा चुनावों में जिस तरह की फजीहत बीजेपी और योगी को सहनी पड़ी थी अब शायद उपचुनावों के परिणाम उस ट्रॉमा से पार्टी को बाहर निकल सके. योगी ने लोकसभा चुनावों के तुर्ंत बाद ही ठान लिया था कि उपचुनावों की सभी सीटें जीतनी हैं और उन्होंने यह कर दिखाया. फिलहाल यह कैसे संभव हुआ आइये देखते हैं.
1- बीजेपी ने एकजुट हो कर मोर्चा संभाला
भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी कलह का असर इन चुनावों में नही्ं दिखा. सभी ने एकजुट होकर जमकर प्रचार किया. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव के अंतिम हफ्ते में योगी ने 5 दिन में 15 रैली की. योगी सरकार ने नौ सीटों पर सरकार के 30 मंत्रियों की टीम-30 को मैदान में उतारा था. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी सभी नौ सीटों पर एक-एक चुनावी सभा को संबोधित किया. उनका पूरा जोर फूलपुर और मझवां सीट पर रहा है. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी उपचुनाव में नौ सीटों पर एक-एक रैली की. दूसरी ओर आरएसएस भी इस बार पूरे जोर शोर के साथ बीजेपी प्रत्याशियों के प्रचार में लगा हुआ था. लोकसभा चुनावों के दौरान आरएसएस की नामौजूदगी का नतीजा रहा कि बीजेपी को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा था.
2- बंटेंगे तो कटेंगे का नारा और स्थानीय राजनीति
योगी आदित्यनाथ का नारा बंटेंगे तो कटेंगे की चर्चा यूपी से अधिक महाराष्ट्र के चुनावों में थी.उत्तर प्रदेश में इस नारे की चर्चा ही नहीं होती विशेषकर उपचुनावों में तो बिल्कुल भी नहीं . पर इस नारे को जीवनदान यूपी में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने दे दी.अखिलेश यादव और उनकी पार्टी ने इस नारे को खिल्ली समझ कर इसका खूब मजाक उड़ाया. ये केवल अपने कोर वोटर्स को खुश करने के लिए किया गया पर उल्टा पड़ गया. दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ ने लगातार कानून व्यवस्था और बेरोजगारी पर अपने को फोकस रखा. पुलिस की वैकेंसी आई और परीक्षा हुआ उसका रिजल्ट भी आया. छात्रों की मांग पर एक परीक्षा को कैंसल किया गया तो नॉर्मलाइजेश पर रोक भी लगाई गई. योगी आदित्यनाथ तमाम आलोचनाओं के बाद भी बुलडोजर न्याय और एनकाउंट न्याय पर अडिग रहे. जो उनकी यूएसपी बन चुकी है. जाहिर है कि योगी आदित्यनाथ की यही शैली लोगों को पसंद आती है.
3- अखिलेश के 'PDA' पर बीजेपी का ओबीसी फर्स्ट भारी पड़ा
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