शादी कोई अनुबंध नहीं, बल्कि एक पवित्र बंधन है: मद्रास हाई कोर्ट
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अदालत ने कहा कि झूठी शिकायत दर्ज कराने को लेकर पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए पति के पास घरेलू हिंसा अधिनियम जैसा कोई प्रावधान नहीं है.
चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने युवा दंपतियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि पति एवं पत्नी को इस बात का अहसास करना चाहिए कि ‘अहंकार’ एवं ‘ असहिष्णुता’ जूते की तरह हैं जिन्हें घर में कदम रखने से पहले बाहर ही छोड़ देना चाहिए, अन्यथा उनके बच्चों को दयनीय जिंदगी से जूझना पड़ेगा. न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने युवाओं को यह भी याद दिलाया कि विवाह कोई अनुबंध नहीं बल्कि पवित्र बंधन है. उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 में सह-जीवन (लिव-इन-रिलेशनशिप)को मंजूरी देने से पवित्र बंधन का कोई अर्थ नहीं रह गया है. अदालत ने कहा कि झूठी शिकायत दर्ज कराने को लेकर पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए पति के पास घरेलू हिंसा अधिनियम जैसा कोई प्रावधान नहीं है.More Related News