विपक्ष के दिग्गज नेताओं ने भी लगवाई कोरोना वैक्सीन, पीएम मोदी की तारीफ की
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मुंबई के जेजे अस्पताल में एनसीपी चीफ और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई. प्रारंभिक चेकअप के बाद पवार को वैक्सीन लगाई गई. वैक्सीन लगवाने के बाद शरद पवार ने ट्वीट कर कहा कि मैंने मुंबई में COVID-19 Vaccine की पहली डोज ली.
देशभर में सोमवार (1 मार्च) से कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) का दूसरा चरण शुरू हो गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने सुबह-सुबह दिल्ली के एम्स में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई. जबकि गृहमंत्री अमित शाह को शाम के वक्त मेदांता अस्पताल की टीम ने टीका लगाया. वैक्सीनेशन में सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों तरफ के कई नेताओं ने भाग लिया. एनसीपी चीफ शरद पवार, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक समेत कई नेताओं ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ली. शरद पवार ने लगवाई कोरोना वैक्सीनसबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.