वरिष्ठ स्तर पर महिलाओं की नियुक्ति लैंगिक रूढ़ियों को बदल सकती है: जस्टिस नागरत्ना
The Wire
शीर्ष अदालत के नौ नवनियुक्त न्यायाधीशों के अभिनंदन के लिए आयोजित एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बीवी नागरत्ना ने कहा कि महिला न्यायाधीशों की अधिक संख्या महिलाओं की न्याय मांगने और अपने अधिकारों को लागू करने की इच्छा को बढ़ा सकती है. कार्यक्रम में भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने महिला वकीलों से आह्वान किया कि वे न्यायपालिका में 50 प्रतिशत आरक्षण के लिए ज़ोरदार तरीके से मांग उठाएं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बीवी नागरत्ना ने रविवार को कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से व्यापक तरीकों से लैंगिक समानता की भूमिका को बढ़ावा मिलता है.
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से न्यायिक क्षेत्र में वरिष्ठ स्तर पर महिलाओं की नियुक्तियां लैंगिक रूढ़ियों को बदल सकती हैं, जिससे पुरुषों और महिलाओं की उचित भूमिकाओं के प्रति दृष्टिकोण और धारणा में बदलाव होगा.
जस्टिस नागरत्ना 2027 में भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बन सकती हैं.
उन्होंने कहा, ‘न्यायिक अधिकारियों के रूप में महिलाओं की भागीदारी, सरकार की विधायी और कार्यकारी शाखाओं जैसे अन्य निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व का मार्ग प्रशस्त कर सकती है.’