रायबरेली में BJP का बढ़ता वोट प्रतिशत राहुल गांधी के लिए बनेगा चुनौती? जानें क्या है 17 फीसदी का फैक्टर
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राहुल गांधी अमेठी छोड़कर रायबरेली क्यों आए? इस सवाल के जवाब में कांग्रेस कहती है कि रायबरेली सिर्फ़ सोनिया गांधी की नहीं, इंदिरा गांधी की सीट रही है. कांग्रेस बताती है कि ये विरासत नहीं ज़िम्मेदारी है, कर्तव्य है. वहीं, राहुल गांधी ने कहा कि रायबरेली से नामांकन करना भावुक पल था. मां ने भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है. अमेठी और रायबरेली उनके लिए अलग-अलग नहीं हैं, दोनों ही परिवार हैं.
उत्तर प्रदेश में साल 2012 में विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा था, राहुल गांधी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठे थे, सवाल हुआ कि कांग्रेस क्या वापसी कर पाएगी? इस पर राहुल गांधी एकदम कुर्सी से खड़े हुए और कहा कि कांग्रेस ऐसे खड़ी हो जाएगी, जैसे मैं उठा हूं. इस बात को 12 साल बीत गए, कांग्रेस ना यूपी के चुनाव में उठ पाई. ना लोकसभा चुनाव में. 2004 में अमेठी से राहुल गांधी ने राजनीति शुरू की, लेकिन 5 साल पहले यानी 2019 में अमेठी ने राहुल की झोली में जीत नहीं डाली. अब राहुल गांधी ने अमेठी छोड़ दी और मां सोनिया गांधी की छोड़ी हुई सीट रायबरेली को चुन लिया, लेकिन क्या रायबरेली राहुल के लिए उत्तर प्रदेश में सुरक्षित है या फिर मुश्किल?
महीनेभर से ज्यादा वक्त से अमेठी और रायबरेली पर चल रहे सियासी सस्पेंस को विराम देने वाला फैसला 3 मई को हुआ. कांग्रेस ने रायबरेली सीट से राहुल गांधी को कैंडिडेट बनाया है, जबकि अमेठी से किशोरी लाल शर्मा पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है. रायबरेली में फुर्सतगंज की हवाई पट्टी पर शुक्रवार को चार्टर्ड प्लेन उतरा. इससे राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी समेत कई कांग्रेस नेता उतरे. इसके बाद राहुल गांधी ने रायबरेली सीट से नामांकन का पर्चा भर दिया. जबकि अमेठी सीट को इस बार परिवार के पुराने साथी और अब तक मां सोनिया के सांसद प्रतिनिधि रहे किशोरी लाल शर्मा के लिए छोड़ दिया.
प्रियंका बोलीं- दोनों सीटों से जीतेंगे राहुल गांधी
प्रियंका गांधी ने कहा कि भैया के लिए बहुत खुश हूं, भैया यहां से लड़ रहे हैं, वह दोनों सीटों (वायनाड और रायबरेली) से पक्का जीतेंगे. वहीं, बीजेपी कह रही है कि अमेठी में फिर से स्मृति ईरानी से उन्हें हार का डर था, इसलिए अमेठी छोड़ रायबरेली लड़ने चले गए.
नामांकन के बाद क्या बोले राहुल गांधी?
राहुल गांधी ने कहा कि रायबरेली से नामांकन करना भावुक पल था. मां ने भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है. अमेठी और रायबरेली उनके लिए अलग-अलग नहीं हैं, दोनों ही परिवार हैं. बता दें कि रायबरेली वो सीट है, जो 2014 की मोदी लहर में भी कांग्रेस नहीं हारी. इतना ही नहीं, 2019 के चुनाव में भी जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया और यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस सिर्फ इसी सीट पर चुनाव जीती थी. रायबरेली वो सीट है, जहां 72 साल के इतिहास में 66 साल कांग्रेस के सांसद रहे हैं. अब तक हुए 20 चुनाव में 17 बार कांग्रेस को जीत मिली है. 72 साल में गांधी परिवार से 7 लोग सांसद का चुनाव लड़े. इसमें 5 सदस्य सांसद बने. 20 साल से रायबरेली ने सोनिया गांधी को सांसद चुना है.
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