ये ना होता तो....कोरोना की दूसरी लहर से नहीं मचती ऐसी तबाही
AajTak
हमारे देश, हमारी सरकार ने कई ऐसी गलतियां की हैं जो अगर ना होतीं तो दूसरी लहर से ऐसी तबाही कभी नहीं मचती. एक नजर ' ये ना होता तो' वाली घटनाओं पर डालते हैं.
रोज चार लाख से ज्यादा नए मामले....चार हजार से ज्यादा मौतें....आजाद भारत की सबसे बड़ी त्रासदी है कोरोना. जैसा हाल कोरोना काल में हुआ, वैसा कभी नहीं देखा. एक-एक सांस के लिए मोहताज,अस्पताल में बिस्तर के लिए हाथ जोड़कर गुहार. एक महामारी ने कैसे पूरे स्वास्थ्य तंत्र को अंदर तक झकझोर कर रख दिया. पहली लहर के दौरान तो फिर भी स्थिति संभल गई, लेकिन इस दूसरी सुनामी ने सब पर पानी फेर दिया. देश के स्वास्थ्य महकमे पर सवाल उठे, सरकार पर सवाल उठे, लापरवाह भीड़ के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए यह भी सवालों के घेरे में है. தமிழ்நாடு முழுவதும் ஒவ்வொரு ஊரிலும் மிகப்பெரிய எழுச்சியும் வரவேற்பும் தந்த தமிழக மக்களுக்கு உணர்வுபூர்வமான நன்றி! இம்முறை திமுக கூட்டணிக்கு வாய்ப்பு தாருங்கள். உதயசூரியன் உதயமாகட்டும்! இழந்த உரிமைகளை மீட்டெடுப்போம். நம் தாய்த் தமிழ்நாட்டை மீண்டும் தலைநிமிரச் செய்வோம்! pic.twitter.com/TkNZwrVdId लेकिन फिर भी हमारे देश, हमारी सरकार ने कई ऐसी गलतियां की हैं जो अगर ना होतीं तो दूसरी लहर से ऐसी तबाही कभी नहीं मचती. एक नजर ' ये ना होता तो' वाली घटनाओं परसबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.