यूरी गागरिन: इंसान की पहली अंतरिक्ष यात्रा कितनी ख़तरनाक थी
BBC
साठ साल पहले आज ही के दिन 12 अप्रैल, 1961 को यूरी गागरिन अंतरिक्ष जाने वाले दुनिया के पहले शख़्स बने थे.
"दुनिया से बहुत दूर, यहां मैं एक टिन के डिब्बे में बैठा हूं. पृथ्वी का रंग नीला है और यहां कुछ भी नहीं जो मैं कर सकूं." डेविड बोई के स्पेस ओडिटी एलबम के इस लाइन में वह सब मौजूद है जो अंतरिक्ष में जाने वाले पहले शख़्स यूरी गागरिन ने महसूस किए होंगे. दो मीटर व्यास वाले छोटे से स्पेसक्राफ़्ट में यूरी गागरिन अंतरिक्ष यात्री की बजाय महज़ एक यात्री की तरह अंतरिक्ष गए थे. यूरी गागरिन ऐसे यान में थे जिसके कंट्रोल को वह छू भी नहीं सकते थे. कंट्रोल रूम से हुए उनके संवाद के मुताबिक़ अंतरिक्ष यान की कैप्सूल विंडो से उन्हें पृथ्वी बड़ी सुंदर दिखाई दी थी. पृथ्वी पर बादलों की छाया मनमोहक दृश्य पैदा कर रही थी. यूरी गागरिन 12 अप्रैल, 1961 को अंतरिक्ष जाने वाले पहले शख़्स बने थे. यह अंतरिक्ष की लड़ाई में अमेरिका पर सोवियत संघ की जीत थी. उनकी सकुशल वापसी ने तो इस जीत को निर्विवाद बना दिया था. इतिहास बनाने के लिए गागरिन ने अदम्य बहादुरी दिखाते हुए ख़तरनाक चुनौती स्वीकार की थी. उन्हें अंतरिक्ष में भेजा जा रहा था, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी थी. वे ऐसे यान से वहां जा रहे थे जिसमें किसी आपात स्थिति में बचाव की कोई व्यवस्था नहीं थी.More Related News