मुस्लिम देश में इस्लाम छोड़ने के लिए दर-दर भटक रही महिला, कोर्ट ने भी नहीं दी इजाजत
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मलेशिया में कुआलालंपुर के हाई कोर्ट ने एक महिला के मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया है जिसमें महिला ने शरिया कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. महिला इस्लाम छोड़ना चाहती है लेकिन शरिया अदालतों ने ये फैसला सुनाया है कि वो इस्लाम नहीं छोड़ सकती. इस फैसले के खिलाफ महिला ने हाई कोर्ट में अपील की थी जहां से उसे निराशा हाथ लगी है.
मलेशिया में कुआलालंपुर के एक कोर्ट ने धर्मांतरण के एक मामले की न्यायिक समीक्षा करने से इनकार कर दिया है. मुस्लिम माता-पिता से जन्मी एक महिला ने अदालत में याचिका दायर कर शरिया कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने की कोशिश की थी जिसमें उसके इस्लाम छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है. 32 वर्षीय मलेशियाई महिला का जन्म एक मुस्लिम माता-पिता से हुआ था लेकिन उसने कभी इस्लाम धर्म नहीं माना.
शरिया अदालतों में महिला ने याचिका दायर कर अपील की थी कि उसे उसके जन्म के आधार पर मुसलमान न माना जाए क्योंकि उसने कभी इस्लाम का पालन नहीं किया. महिला ने कोर्ट में कहा कि वो कन्फ्यूशियननिज्म और बौद्ध धर्म को मानती है इसलिए उसे मुसलमान न माना जाए.
शरिया की अदालतों ने महिला की दलीलों को मानने से इनकार करते हुए फैसला सुनाया कि वो इस्लाम नहीं छोड़ सकती. इसके बाद महिला ने कुआलालंपुर को हाई कोर्ट में शरिया कोर्ट के फैसले की न्यायिक समीक्षा की मांग करते हुए याचिका दायर की. अब हाई कोर्ट ने कहा है कि वो इस मामले की न्यायिक समीक्षा नहीं करेगा. कोर्ट ने मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अटॉर्नी-जनरल का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय वकील मोहम्मद सल्लेहुद्दीन मोहम्मद अली ने पुष्टि की कि हाई कोर्ट के जज दातुक अहमद कमाल मोहम्मद शाहिद ने न्यायिक समीक्षा के लिए महिला के आवेदन को खारिज कर दिया है.
महिला के वकील फहरी अज्जत ने पुष्टि की कि उनके मुवक्किल की समीक्षा अपील को ईमेल द्वारा खारिज कर दिया गया. इसी के साथ ही महिला पर 2 हजार मलेशियन रिंगिंट (करीब 36 हजार रुपये) का जुर्माना भी लगाया गया. फहरी ने बताया कि उनके मुवक्किल ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है.
उन्होंने कहा, 'हमने कोर्ट के निर्णय के तुरंत बाद अपने मुवक्किल को सूचित किया. मेरे मुवक्किल ने कहा कि कोर्ट के निर्णय के खिलाफ अपील दायर की जाए जिसके बाद हमने अपील दायर की.'
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