महाराष्ट्रीय अस्मिता से अधिक बलशाली अब हिंदुत्व की पुकार है
The Wire
भाजपा की फूहड़, हिंसक, बेहिस विभाजनकारी शासन नीति से अलग सभ्य, शालीन, ज़िम्मेदार शासन नीति और आचरण के लिए उद्धव ठाकरे की सरकार को याद किया जाएगा. कम से कम इस प्रयास के लिए कि एक अतीत के बावजूद सभ्यता का प्रयास किया जा सकता है.
मुंबई और गुवाहाटी में क्या रिश्ता है? यही कि वे भारत नामक देश या राष्ट्र के दो शहर हैं. कुछ दिन पहले तक अपनी महाराष्ट्रीय अस्मिता के दंभ में चूर राजनीति के लिए यह घड़ी आत्मचिंतन की होनी चाहिए. There are many good hotels in Assam, anyone can come there and stay…there is no issue with it. I don't know if Maharashtra MLAs are staying in Assam. MLAs of other states can also come & stay in Assam: CM Himanta Biswa Sarma in Delhi pic.twitter.com/4gPKp9kdCo
महाराष्ट्र की सरकार का भविष्य एक दूसरे राज्य असम में तय हो रहा है. लेकिन इसे दूसरे तरीक़े से भी देखा जा सकता है. महाराष्ट्रीय अस्मिता से अधिक बलशाली अब हिंदुत्व की पुकार है. — ANI (@ANI) June 23, 2022
आख़िर मुंबई से भागे, या भगाए गए शिवसेना के विधायकों के गिरोह के अगुवा की शिकायत तो यही है न? उनके मुताबिक़ उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की राह छोड़ दी है और विचारधारा के साथ समझौता कर लिया है. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर ‘महा विकासअघाड़ी’ गठबंधन का निर्माण और फिर उसकी सरकार बनाना उनके मुताबिक़ शिवसेना की अपनी विचारधारा के साथ द्रोह है.
शिवसेना के विधायक एकनाथ शिंदे ने यह बार-बार कहा है कि वे सेना के संस्थापक बाल ठाकरे की मूल विचारधारा की रक्षा के लिए इस सरकार से अलग हुए हैं. विश्लेषक कारण कुछ और बतला रहे है. दल में उनकी उपेक्षा, संवाद का अभाव आदि. लेकिन हमें शिंदे साहब की बात को यूं ही नहीं उड़ा देना चाहिए.