बीजापुर नक्सली हमला: छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या को लेकर क्या है नीति, क्यों नहीं रुक पा रही हिंसा?
BBC
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों और सुरक्षाबल के जवानों के बीच हुई मुठभेड़ में 22 जवान मारे गए हैं. इससे सरकारी नीतियों पर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं.
बीजापुर में माओवादियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के 22 जवानों की मौत के बाद बीजापुर से लेकर रायपुर तक, हवा में तरह-तरह के सवाल तैर रहे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर कैसे माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के बटालियन नंबर 1 के कमांडर हिड़मा ने खुद ही तर्रेम के आसपास के जंगल में होने की ख़बर प्रचारित की और कैसे सुरक्षाबलों के दो हज़ार से अधिक जवान इस बटालियन को घेरने के लिए निकल पड़े और माओवादियों के जाल में फंसते चले गये? सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह रणनीतिक चूक थी या इसे खुफ़िया तंत्र की असफलता माना जाना चाहिये? क्या जवानों में आपसी तालमेल की कमी थी, जिसके कारण अत्याधुनिक हथियारों से लेस दो हज़ार जवान, कुछ सौ माओवादियों का मुकाबला नहीं कर पाये? क्या जवानों में क्रॉस फायरिंग भी हुई? क्या सच में माओवादी तीन-चार ट्रकों में अपने हताहत साथियों को लेकर भागे हैं? क्या माओवादियों ने यह हमला इसलिए किया क्योंकि उनके आधार इलाके में सुरक्षाबलों ने अपने झंडे गाड़ दिये हैं और माओवादियों के लिए अपने इलाके को बचा पाना मुश्किल हो रहा है? अलग-अलग स्तर पर इन सारे सवालों के अलग-अलग जवाब हैं और इनका सच क्या है, इसे समझ पाना आसान नहीं है.More Related News