पहले वर्चस्व की लड़ाई, अब बेटी की सगाई... गले मिले दो बाहुबली और दोस्ती में बदल गई दुश्मनी
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बाहुबली नेता, पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह और पप्पू यादव के बीच की अदावत लोग भूले नहीं हैं. इनकी दुश्मनी कई वर्षों तक चलती रही. मगर एक-दूसरे को मात देने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले जब एक दूसरे के गले मिले तो सारी दुश्मनी इस मौके पर खुशी में बदल गई.
बिहार में दो पूर्व सांसद और बाहुबली नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई के किस्से काफी मशहूर रहे है लेकिन सोमवार की रात दशकों की दुश्मनी उस समय दोस्ती में बदल गई, जब दोनों गले मिले. मौका था पूर्व सांसद आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद की सगाई का. जिसमें तमाम हस्तियों के साथ जनाधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने न सिर्फ नए जोड़े को शुभकामनाएं दी, बल्कि आनंद मोहन सिंह के साथ काफी वक्त गुजारा.
सरकार और विपक्ष का जमावड़ा सोमवार की रात पटना के एक होटल में आंनद मोहन सिंह की बेटी सुरभि आनंद की सगाई के मौके पर तमाम हस्तियां मौजूद थी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, मंत्रिमंडल के कई सदस्य संजय झा, विजय कुमार चौधरी समेत तमाम लोग शामिल वहां पहुंचे थे. बीजेपी के तरफ से प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी समेत कई नेता वहां मौजूद थे.
दोस्ती में बदल गई दुश्मनी लेकिन चर्चा में रही आनंद मोहन और पप्पू यादव की मुलाकात. कई लोगों मे आज भी इनके बीच की अदावत की यादें ताज़ा हो गई. इनकी दुश्मनी कई वर्षों तक चलती रही. एक-दूसरे को मात देने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले जब एक दूसरे के गले मिले तो सारी दुश्मनी इस मौके पर खुशी में बदल गई. आनंद मोहन अपनी बेटी की सगाई के लिये 15 दिनों के पेरौल पर जेल से बाहर आए हैं.
दुश्मनी का दौर एक जमाना वो भी था जब दोनों की लड़ाई चरम पर हुआ करती थी. कोसी क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर दिनों के बीच कई बार मुठभेड़ भी हुई. कइयों की जाने गई. जिसमें सहरसा का पामा और पूर्णिया के भंगरा कांड को आज भी याद किया जाता है. कोसी क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर इनके समर्थकों के बीच तो हजारों गोलियां चली होंगी. ऐसा नहीं है कि इन दोनों के बीच कोई व्यक्तिगत लड़ाई थी.
90 के दशक में चरम पर थी लड़ाई 1990 का दशक चल रहा था. उस दौरान बिहार में ऐसा सामाजिक ताना-बाना बुना गया था कि जात की लड़ाई खुल कर सामने आ गई थी और अपनी-अपनी जातियों के प्रोटेक्शन को लेकर आनंद मोहन सिंह और पप्पू यादव लड़ाई लड़ रहे थे. बिहार में वो लालू प्रसाद यादव का दौर था. जहां मंडल और कमंडल की जोरआजमाइश चल रही थी.
आनंद मोहन सिंह ने की थी पप्पू यादव की मदद लेकिन इसी दौरान एक ऐसी भी घटना घटी जो ये साबित करती है कि आनंद मोहन सिंह और पप्पू यादव की लड़ाई व्यक्तिगत नहीं थी. एक बार सहरसा से पटना आते हुये पप्पू यादव की गाड़ी दुर्घटना ग्रस्त हो गई. लोगों ने उस समय पप्पू यादव को घेर लिया था. लेकिन आनंद मोहन सिंह ने वहां पहुंचकर पप्पू यादव की गाड़ी को निकलवाने में मदद की थी.
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